आईपीएस डॉ. रतन लाल डांगी ने गाइड द यूथ, ग्रो द नेशन मिशन पर दिया प्रेरक व्याख्यान
रायपुर, 5 जनवरी 2024। शहर की प्रतिष्ठित शैक्षणिक एवं सामाजिक संस्था युवा द्वारा आयोजित गाइड द यूथ, ग्रो द नेशन मिशन पर प्रेरक व्याख्यान ने युवाओं को आत्मनिर्भरता और दृढ़ता की राह दिखाई। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आईपीएस डॉ. रतन लाल डांगी ने अपनी संघषर्पूर्ण जीवन यात्रा और अनुभवों को साझा करते हुए छात्रों को जीवन में आगे बढ़ने के प्रेरणादायक सूत्र दिए।
डॉ. रतन लाल डांगी, जो राजस्थान के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखते हैं, ने अपनी प्रारंभिक कठिनाइयों को याद करते हुए बताया कि उनके पिताजी एक साधारण मजदूर थे और पहली बार उन्होंने 12वीं कक्षा में बिजली की रोशनी में पढ़ाई की।
उन्होंने अपने जीवन में आए संघर्षों का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे एक अधिकारी के ताने ने उन्हें यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए प्रेरित किया और अंतत: वह आईपीएस बने। डॉ. डांगी ने महात्मा बुद्ध और बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि महात्मा बुद्ध के उपदेश अपना दीपक स्वयं बनो और बाबा साहेब के संघर्ष से यह स्पष्ट होता है कि चुनौतियों का सामना करके ही जीवन में बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, कामयाब होना मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है। यह वाक्य न केवल छात्रों को प्रेरित करता है, बल्कि यह बताता है कि सफलता पाने के लिए आत्मविश्वास और मेहनत की आवश्यकता होती है।
सफलता के मूल मंत्र
डॉ. डांगी ने छात्रों को बताया कि संघर्ष जितना कठिन होता है, सफलता उतनी ही मीठी लगती है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाए रखते हुए अनुशासन में रहना चाहिए। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि आकाश को छूना है तो बाज को अपना साथी बनाना होगा, अर्थात सही संगति और मार्गदर्शन के बिना सफलता प्राप्त करना मुश्किल है।
रियल हीरो बनें, रील हीरो नहीं
कार्यक्रम के समापन पर युवा संस्था के वरिष्ठ सदस्य द्रोहित शिवहरे ने छात्रों से अपील की कि वे डॉ. डांगी जैसे समाज के रियल हीरो को अपना आदर्श बनाएं, न कि रील हीरो को। उन्होंने कहा कि डॉ. डांगी का संघर्ष और सफलता हर युवा के लिए प्रेरणादायी है।
कार्यक्रम में रायपुर के अन्य महाविद्यालयों के छात्रों के साथ-साथ प्रेरणा संस्था की नेत्रहीन बच्चियां और गरिमा ग्रह से आए ट्रांसजेंडर छात्र भी शामिल हुए। यह कार्यक्रम न केवल एक प्रेरक व्याख्यान था, बल्कि यह विभिन्न वर्गों और समुदायों के बीच समावेशिता का संदेश भी देता है।