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झूठ को ताकतवर बनाती है सच्चाई जानने वालों की चुप्पी

झूठ को ताकतवर बनाती है सच्चाई जानने वालों की चुप्पी

छोटे से गांव में एक प्रतिष्ठित आदमी था, नाम था रामेश्वर। वह ईमानदारी और सच्चाई के लिए पूरे गांव में मशहूर था। लोग उसे हर विवाद और समस्या के हल के लिए बुलाते थे। उसकी एक खास बात थी – वह हमेशा सच के साथ खड़ा रहता था, चाहे स्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो। एक दिन गांव में एक बड़ा विवाद हुआ।

गांव के प्रभावशाली और धनी व्यक्ति शंकर ने एक गरीब किसान, मोहन, पर आरोप लगाया कि उसने उसकी जमीन पर कब्जा कर लिया है। गांव के सभी लोग इस मामले को लेकर चिंतित थे, क्योंकि शंकर ने अपने धन और शक्ति के बल पर सभी को अपने पक्ष में कर लिया था।

सभी जानते थे कि मोहन निर्दोष है, लेकिन कोई भी शंकर के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं कर रहा था। मोहन ने आखिरी उम्मीद के साथ रामेश्वर के दरवाजे पर दस्तक दी। उसने सारी सच्चाई बताई और रामेश्वर से मदद की गुहार लगाई।

रामेश्वर को मालूम था कि मोहन सच बोल रहा है, लेकिन शंकर जैसा ताकतवर आदमी उसका विरोध करने पर उसकी जिंदगी मुश्किल बना सकता था। गांव वाले रामेश्वर से बड़ी उम्मीद लगाए बैठे थे कि वह न्याय करेगा, लेकिन रामेश्वर ने चुप्पी साध ली। गांव की पंचायत बुलाई गई, जिसमें फैसला सुनाया गया कि मोहन दोषी है और उसे शंकर को जमीन लौटानी होगी।

मोहन की आंखों में आंसू थे, लेकिन रामेश्वर अब भी कुछ नहीं बोला। शंकर जीत गया था, और उसके झूठ ने सबको मात दे दी। कुछ समय बाद, शंकर का असली चेहरा सामने आ गया। वह सिर्फ अपनी ताकत और झूठ का सहारा लेकर दूसरों को दबाता रहा था। गांव वाले तब समझे कि मोहन निर्दोष था, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

रामेश्वर की खामोशी ने उस दिन सच को हारने दिया था। रामेश्वर को अपनी चुप्पी का गहरा पछतावा हुआ। उसने महसूस किया कि झूठ उसी वक़्त जीत जाता है, जब सच जानने वाला खामोश रह जाता है। उस दिन के बाद, रामेश्वर ने कसम खाई कि वह फिर कभी सच्चाई के लिए चुप नहीं रहेगा, चाहे स्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चाई जानने वालों की चुप्पी झूठ को ताकतवर बनाती है। हमें हमेशा सच के साथ खड़े रहना चाहिए, क्योंकि हमारी खामोशी किसी निर्दोष की हार और किसी झूठ की जीत बन सकती है।