नई दिल्ली, 12 जनवरी 2025। महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने विकसित भारत युवा नेता संवाद 2025 कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने की कुंजी काम की गुणवत्ता है, न कि काम की मात्रा। यह बयान देश में वर्क-लाइफ बैलेंस और कार्य-घंटों पर चल रही बहस के बीच आया है।
आनंद महिंद्रा ने कहा, यह बहस गलत दिशा में जा रही है। हमें 70 या 90 घंटे काम करने के बजाय काम की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, मुझसे यह न पूछें कि मैं कितने घंटे काम करता हूं। मुझसे यह पूछें कि मेरे काम की गुणवत्ता क्या है।
महिंद्रा ने यह भी कहा कि काम के आउटपुट पर ध्यान देना चाहिए। आप 10 घंटे में दुनिया बदल सकते हैं। वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर हालिया विवाद तब शुरू हुआ जब एलएंडटी के चेयरमैन एस.एन. सुब्रह्मण्यन ने कर्मचारियों को रविवार सहित सप्ताह में 90 घंटे काम करने का सुझाव दिया।
उनकी टिप्पणी की व्यापक आलोचना हुई, जिसमें बॉलीवुड स्टार दीपिका पादुकोण और आरपीजी ग्रुप के चेयरपर्सन हर्ष गोयनका जैसे प्रमुख हस्तियों ने इसे अनुचित बताया।
एलएंडटी ने बाद में स्पष्ट किया कि सुब्रह्मण्यन की टिप्पणी का उद्देश्य राष्ट्र निर्माण की बड़ी महत्वाकांक्षा को दर्शाना था।
आनंद महिंद्रा का यह विचार कि काम की गुणवत्ता पर जोर दिया जाना चाहिए, भारत के युवाओं और कॉर्पोरेट जगत दोनों के लिए प्रेरणादायक है। उनका यह संदेश कार्यस्थल पर सार्थक योगदान और व्यक्तिगत जीवन के संतुलन के महत्व को रेखांकित करता है। काम की गुणवत्ता पर ध्यान देकर ही विकसित भारत का सपना साकार किया जा सकता है।