तीसरे प्रयास में यूपीएससी क्लीयर कर आईएएस बनीं दिव्या मिश्रा

तीसरे प्रयास में यूपीएससी क्लीयर कर आईएएस बनीं दिव्या मिश्रा

success story

प्रतापगढ़, 11 सितंबर 2024। प्रतापगढ़ की मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) डॉ. दिव्या मिश्रा की सफलता की कहानी युवाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है। दिव्या ने कठिन मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ यूपीएससी परीक्षा को तीसरे प्रयास में क्लीयर कर आईएएस अधिकारी बनने का सपना साकार किया। उनकी यह यात्रा न केवल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए प्रेरणा है, बल्कि अपने लक्ष्य के प्रति अटूट विश्वास की मिसाल भी है।

दिव्या मिश्रा का जन्म और पालन-पोषण उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ। उनका परिवार हमेशा शिक्षा को महत्व देता रहा है। उनके पिता दिनेश मिश्रा नवोदय विद्यालय में प्रिंसिपल हैं, जबकि उनकी मां मंजू मिश्रा एक गृहिणी हैं। उनके छोटे भाई दिव्यांशु मिश्रा सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर कार्यरत हैं। शिक्षा के इस समृद्ध माहौल ने दिव्या को भी बचपन से ही पढ़ाई में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

दिव्या ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नवोदय विद्यालय, उन्नाव से प्राप्त की। 10वीं बोर्ड परीक्षा में उन्होंने 96.6% अंकों के साथ राज्य में टॉप किया, जबकि 12वीं में 92.4% अंक हासिल किए। इसके बाद उन्होंने AKTU से बी.टेक किया और ब्रॉन्ज मेडल जीता। उन्होंने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ पीएचडी भी पूरी की।

दिव्या मिश्रा ने आईएएस बनने का सपना बचपन से देखा था। अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के साथ ही उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी। पहले प्रयास में, वह सिर्फ 4 अंकों से चूक गईं। दूसरे प्रयास में उन्होंने 312वीं रैंक हासिल की और रेलवे विभाग में अधिकारी बनने का अवसर मिला, लेकिन उनका सपना आईएएस बनने का था। इसके बाद, उन्होंने एक बार और कोशिश की और 2020 में 28वीं रैंक के साथ आईएएस बन गईं।

जब दिव्या यूपीएससी की तैयारी कर रही थीं, उसी दौरान उनके छोटे भाई दिव्यांशु का आर्मी में लेफ्टिनेंट के पद पर चयन हो गया। इस सफलता से उन पर भी नौकरी का दबाव बढ़ने लगा, लेकिन उन्होंने अपनी एकाग्रता बनाए रखी। उरी अटैक के बाद, उन्होंने अपनी तैयारी में और अधिक मेहनत लगाई, जिससे उनका जुनून और बढ़ गया।

प्रतापगढ़ में सीडीओ के रूप में तैनात डॉ. दिव्या मिश्रा अपने कार्यों से जिले में विकास कार्यों को गति देने के लिए जानी जाती हैं। उनकी सख्त कार्यशैली और प्रभावशाली नेतृत्व की तारीफ होती रही है। उनकी यह सफलता और समर्पण हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो यूपीएससी जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।

दिव्या की सफलता यह सिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद अगर समर्पण और दृढ़ता बनी रहे, तो हर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।