लखनऊ, 13 सितंबर 2024। उत्तर प्रदेश सरकार ने रामपुर के पूर्व एसपी अशोक शुक्ला के खिलाफ गंभीर आरोपों की जांच का आदेश दिया है। गृह विभाग ने इस मामले की जांच के लिए अलीगढ़ की मंडलायुक्त चैत्रा वी. और आईजी विजिलेंस मंजिल सैनी की संयुक्त समिति का गठन किया है। यह समिति अपनी रिपोर्ट जल्द ही शासन को सौंपेगी।
अशोक शुक्ला पर आरोप है कि उन्होंने रामपुर के सिविल लाइंस थाने में दर्ज एक मुकदमे में विवेचक को बदलकर पूर्व मंत्री आजम खां को बचाने का प्रयास किया। आरोप यह भी है कि विवेचक बदलने के बाद मुकदमे से गंभीर धाराएं हटा दी गईं, जिसके परिणामस्वरूप अदालत में दोषपूर्ण आरोप पत्र दाखिल किया गया, जिसमें आजम खां का नाम नहीं था।
सूत्रों के मुताबिक, यह जांच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर शुरू की गई है। वर्तमान में अशोक शुक्ला सीबीसीआईडी में डीआईजी के पद पर तैनात हैं। यह मामला रामपुर के जौहर विश्वविद्यालय के परिसर के अंतर्गत आने वाली शत्रु संपत्ति से संबंधित है, जिसमें दस्तावेजों में हेराफेरी का आरोप है।
यह शत्रु संपत्ति इमामुद्दीन कुरैशी के नाम दर्ज थी, जो विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए थे। वर्ष 2006 में इसे भारत सरकार के कस्टोडियन विभाग के अंतर्गत दर्ज किया गया था। जब जौहर विश्वविद्यालय के निर्माण में सरकारी जमीनों पर कब्जे की जांच हुई, तो इस शत्रु संपत्ति का मामला उजागर हुआ। आरोप है कि इस संपत्ति के दस्तावेजों में हेरफेर कर आफाक अहमद का नाम जोड़ दिया गया था, और राजस्व रिकॉर्ड के पन्ने भी फटे मिले थे।
वर्ष 2020 में इस मामले में थाना सिविल लाइंस में मुकदमा दर्ज कराया गया। 2023 में विवेचक गजेंद्र त्यागी ने लेखपाल के बयान के आधार पर आजम खां का नाम आरोपियों में शामिल किया था। इसके बाद अशोक शुक्ला ने त्यागी को हटाकर निरीक्षक श्रीकांत द्विवेदी को विवेचक नियुक्त किया। आरोप है कि नए विवेचक ने मामले की गंभीर धाराओं, जैसे धारा 467 और 471, को हटाकर अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया, जिसमें आजम खां का नाम गायब था।
इसकी शिकायत पर शासन ने गोपनीय जांच कराई, जिसमें तत्कालीन एसपी अशोक शुक्ला समेत अन्य अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई। इसके बाद शासन ने शुक्ला के खिलाफ औपचारिक जांच का आदेश जारी किया है।