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जादू-टोना, टोनही या डायन जैसी मान्यताएं केवल अंधविश्वास : डॉ. दिनेश मिश्र

जादू-टोना, टोनही या डायन जैसी मान्यताएं केवल अंधविश्वास

अंधविश्वास के चलते मासूमों की निर्मम हत्या पर डॉ. दिनेश मिश्र की भावुक अपील

रायपुर, 13 सितंबर 2024। छत्तीसगढ़ के बलोदाबाजार के कसडोल स्थित ग्राम छरछेद में अंधविश्वास के चलते 2 महिलाओं सहित 4 निर्दोष व्यक्तियों की जादू-टोना और टोनही के संदेह में निर्मम हत्या ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। इस दुखद घटना पर अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष, डॉ. दिनेश मिश्र ने कड़ी निंदा की है और दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है।

डॉ. मिश्र का कहना है, जादू-टोने का कोई अस्तित्व नहीं है। हमें अंधविश्वास में पड़कर कानून को अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। यह अत्यंत दुखद है कि इस तरह के कृत्य आज भी समाज में हो रहे हैं, जहां मासूम लोगों को झूठे और भ्रामक आरोपों में अपनी जान गंवानी पड़ रही है। डॉ. मिश्र ने यह भी बताया कि हाल के दिनों में टोनही/डायन के शक में हत्याएं, मारपीट और प्रताड़ना की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।

सिर्फ अंधविश्वास और झूठी मान्यताओं के आधार पर किसी निर्दोष महिला या उसके परिवार पर हमला करना अत्यंत क्रूर और अमानवीय है। यह मानवता के खिलाफ है और समाज को इस अंधकार से बाहर निकालने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति अब इस दुखद घटना के बाद प्रभावित परिवारों से मिलने और ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए प्रवास करेगी। डॉ. मिश्र ने कहा, हर व्यक्ति की बीमारी या समस्या का कारण भिन्न होता है, और इसका समाधान सही चिकित्सा उपचार और तर्कसंगत उपायों से ही किया जा सकता है।

बीमारियां संक्रमण, कुपोषण, या अन्य वैज्ञानिक कारणों से होती हैं, न कि किसी तथाकथित जादू-टोने के कारण। जादू-टोना, टोनही या डायन जैसी मान्यताएं केवल अंधविश्वास हैं, जिनका कोई वास्तविक अस्तित्व नहीं है। उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि वे इस प्रकार के भ्रामक और अनुचित विश्वासों में न फंसें, जो न केवल समाज को पीछे ले जाते हैं बल्कि निर्दोष लोगों की जान भी लेते हैं।

दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग

डॉ. दिनेश मिश्र ने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में तुरंत कार्रवाई की जाए और दोषियों को कठोर सजा दी जाए, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस प्रकार की जघन्य हरकत करने का दुस्साहस न कर सके। उन्होंने कहा, देश के कई हिस्सों में डायन/टोनही के संदेह में प्रताड़ना की घटनाएं आम हो चुकी हैं, जबकि यह सत्य है कि कोई भी नारी जादू-टोने की शक्तियों से लैस नहीं होती।

जादू-टोने के नाम पर हो रही प्रताड़ना और हत्या मानवाधिकारों का सीधा उल्लंघन है। डॉ. मिश्र ने कहा कि इस प्रकार की घटनाओं को रोकने का एकमात्र उपाय जनजागरूकता है। अंधविश्वास और भ्रांतियों का निर्मूलन तभी संभव है जब हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाएं और समाज को तर्कसंगत बनाएं। इस भावुक अपील के साथ, डॉ. दिनेश मिश्र ने समाज से आग्रह किया कि हम सब मिलकर इस अंधकार को मिटाने का संकल्प लें, ताकि भविष्य में कोई भी निर्दोष व्यक्ति अंधविश्वास का शिकार न हो।