छत्तीसगढ़ बनेगा रिन्यूएबल एनर्जी का हब, अक्षय ऊर्जा में लाएगा क्रांति

छत्तीसगढ़ बनेगा रिन्यूएबल एनर्जी का हब, अक्षय ऊर्जा में लाएगा क्रांति

Chhattisgarh

रायपुर, 17 सितंबर 2024। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 सितंबर को गुजरात के गांधीनगर में चौथे ग्लोबल रिन्यूएबल एनर्जी इन्वेस्टर्स समिट एंड एक्सपो (री-इंवेस्ट-24) का उद्घाटन किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भी हिस्सा लिया और राज्य में क्लीन और ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में किए जा रहे उल्लेखनीय कार्यों को साझा किया।

मुख्यमंत्री साय ने मंच से ऐलान किया कि छत्तीसगढ़, प्रधानमंत्री मोदी के 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने बताया कि राज्य सोलर एनर्जी, हाइडल एनर्जी और बायोगैस से बिजली उत्पादन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रदेश में मौजूदा समय में 5500 मेगावाट बिजली की खपत है, जिसमें से 15% रिन्यूएबल एनर्जी से उत्पादित होती है। इसे 45% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ में रिन्यूएबल एनर्जी के उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) के माध्यम से राज्य में सौर ऊर्जा और अन्य गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा दिया जा रहा है। दूरस्थ और वनांचल क्षेत्रों में जहां बिजली की लाइन खींचना मुश्किल होता है, वहां सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली पहुंचाई जा रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ के ढाई हजार से ज्यादा शासकीय भवन, आश्रम छात्रावास, और स्वास्थ्य केंद्र सौर ऊर्जा से रोशन हैं।

छत्तीसगढ़ में रायपुर से भिलाई के बीच रेलवे की जमीन पर सोलर प्लांट लगाया गया है, जिससे रायपुर और दुर्ग की लोकल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। बलरामपुर जिले के तातापानी में गर्म जल के प्राकृतिक कुंडों का उपयोग करते हुए 100 किलोवाट का भूतापीय विद्युत संयंत्र लगाने का निर्णय लिया गया है। साथ ही खेती-किसानी में भी सिंचाई के लिए सौर सिंचाई पंपों का उपयोग किया जा रहा है। क्रेडा द्वारा अब तक डेढ़ लाख से अधिक सोलर सिंचाई पंप और 25 हजार सोलर पेयजल पंप स्थापित किए जा चुके हैं, जिससे लाखों परिवारों को शुद्ध पेयजल मिल रहा है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में छोटे-छोटे लघु जल विद्युत संयंत्र भी स्थापित किए गए हैं, जिनसे 75 मेगावाट ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। प्रदेश में 37 लघु जल विद्युत परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है, जिसमें छत्तीसगढ़ भी प्रमुख भूमिका निभाएगा।

मुख्यमंत्री साय ने जोर दिया कि रिन्यूएबल एनर्जी प्रदूषण मुक्त ऊर्जा का स्रोत है और इसके स्रोत हमेशा मौजूद रहेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा दिए जाने से न केवल संबंधित उद्योगों को फायदा होगा, बल्कि जलवायु परिवर्तन की बड़ी चुनौती का सामना करने में भी सहायता मिलेगी।

इस कार्यक्रम में 40 से अधिक सत्र होंगे और इस वर्ष की थीम “मिशन 500 गीगावाट” है। एक्सपो समिट में मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, राजस्थान, कर्नाटक, और उत्तर प्रदेश ने भी भाग लिया। प्रमुख अंतरराष्ट्रीय भागीदारों में ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, जर्मनी, और नॉर्वे जैसे देश शामिल हैं।

रिन्यूएबल एनर्जी का लक्ष्य पूरा होगा

छत्तीसगढ़ सरकार के इन प्रयासों से यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ा हब बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का यह विश्वास कि राज्य प्रधानमंत्री मोदी के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा करने में अग्रणी भूमिका निभाएगा, एक मजबूत संकेत है कि छत्तीसगढ़ आने वाले समय में हरित ऊर्जा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूएगा।