लखनऊ, 20 फरवरी 2025। स्नातक एमएलसी आशुतोष सिंहा ने नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत शुल्क प्रतिपूर्ति में वृद्धि, समय पर भुगतान और छात्रों को मिलने वाली सहायता राशि में हो रही अनियमितताओं पर सदन का ध्यान आकृष्ट कराया। उन्होंने सरकार से इस मुद्दे पर तत्काल कारर्वाई की मांग की।
प्रदेश के सभी जनपदों में आरटीई (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) के अन्तर्गत वित्तीय विहीन प्राइमरी एवं जूनियर विद्यालयों को शुल्क प्रतिपूर्ति का अरबों रूपये अभी भी सरकार द्वारा जारी नहीं किया गया है। इसके चलते इन विद्यालयों को भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही, छात्रों को मिलने वाली सहायता राशि भी समय पर नहीं मिल पा रही है, जिससे उनके अभिभावकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
विद्यालयों की लगातार मांग है कि प्रतिवर्ष मिलने वाली शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि को 450 रुपये से बढ़ाकर 2000 रुपये किया जाए और इसे दो भागों में वितरित किया जाए ताकि विद्यालयों को वित्तीय राहत मिल सके। इसके अलावा, यू-डाइस पोर्टल पर छात्रों का नामांकन दर्ज होने के बावजूद, अभिभावकों को अनावश्यक रूप से अपार आईडी बनवाने के लिए बाध्य किया जा रहा है, जिससे वे परेशान हो रहे हैं। इस प्रक्रिया को सरल बनाने की आवश्यकता है ताकि छात्रों की शिक्षा में किसी प्रकार की बाधा न आए।
इन मुद्दों के कारण अभिभावकों और शिक्षकों में सरकार के प्रति भारी रोष व्याप्त है। आशुतोष सिंहा ने जनहित में इस लोक महत्व के विषय पर आवश्यक कारर्वाई की मांग की है।