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राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी को मान्यता देने की मांग

राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी को मान्यता देने की मांग

प्रतापगढ़, 30 सितंबर 2024। वकील परिषद अवधी सम्राट कविवर उम्मत जी द्वारा स्थापित कविकुल के तत्वावधान में आयोजित हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत एक विशेष गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित सूर्यबली पांडे की स्मृति में वरिष्ठ साहित्यकार पंडित राम सेवक त्रिपाठी एडवोकेट की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इस गोष्ठी में प्रमुख वक्ताओं ने हिंदी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसे राष्ट्रभाषा का दर्जा देने की मांग की।

गोष्ठी में मुख्य अतिथि देवेंद्र प्रकाश ओझा एडवोकेट ने अपने संबोधन में कहा, आज हिंदी हमारी राजभाषा के रूप में स्थापित हो चुकी है, लेकिन राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी है। उन्होंने आगे बताया कि हिंदी अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना रही है, और कई विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जा रही है। उन्होंने कहा कि हिंदी हमारे जीवन के हर पहलू में बसती है।

धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने जिले के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित मुनीश्वर दत्त उपाध्याय का उल्लेख किया, जिन्होंने संविधान पर हिंदी में हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने जनपद के अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों, जैसे प्रोफेसर वासुदेव सिंह, पंडित विद्या शंकर पांडे, और पंडित कृपा शंकर ओझा की भी सराहना की, जिन्होंने हिंदी के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 1964 के अंग्रेजी हटाओ आंदोलन में डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के आह्वान पर अंग्रेजी के विरोध में किए गए प्रयासों की भी चर्चा की।

पंडित राम सेवक तिवारी एडवोकेट ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि देश की कई भाषाओं में हिंदी का महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देना चाहिए था। साथ ही, उन्होंने अदालतों में हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में याचिकाएं अब भी अंग्रेजी में प्रस्तुत की जाती हैं, हालांकि कुछ फैसले अब हिंदी में भी सुनाए जा रहे हैं।

कार्यक्रम के दौरान धर्माचार्य द्वारा अधिवक्ताओं को माल्यार्पण कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कई प्रतिष्ठित अधिवक्ताओं और साहित्यकारों ने भी अपने विचार साझा किए और हिंदी के राष्ट्रभाषा के रूप में मान्यता दिए जाने की पुरजोर मांग की।

कार्यक्रम का सफल संचालन सुरेश दुबे एडवोकेट व्योम ने किया, जबकि आभार प्रदर्शन पंडित संतोष त्रिपाठी एडवोकेट द्वारा किया गया।

इस अवसर पर पंडित राधेश्याम शुक्ला, विष्णु दत्त मिश्र प्रसून, पंडित सुरेश नारायण तिवारी, राधेकृष्ण त्रिपाठी, चिंतामणि पांडेय, प्रेम कुमार त्रिपाठी, रमेश पांडेय, रामेंद्र सिंह, राम सिहासन मिश्र, राम प्रसाद शुक्ला, रामपाल सिंह, अवधेश ओझा,  सुरेश पांडे संभव, शेषनारायण दुबे राही, रामनिवास उपाध्याय, अवधेश प्रसाद ओझा, सुरेश मिश्रा, गया प्रसाद, श्रीकांत,  लालता प्रसाद लहरी सहित अधिवक्ताओं एवं साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं एवं विचारों के द्वारा हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने की मांग किया।