बुंदेलखंड की धरती से पद्मश्री उमाशंकर पाण्डेय ने जल संरक्षण का वैश्विक संदेश दिया
बांदा, 27 फरवरी 2025। जब पूरी दुनिया जल संकट की ओर बढ़ रही है, तब उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड की धरती से पद्मश्री उमाशंकर पाण्डेय ने जल संरक्षण का वैश्विक संदेश दिया। घर का पानी घर में, गांव का पानी गांव में और खेत का पानी खेत में, इस मूल मंत्र के साथ उन्होंने जल संचयन और सतत विकास के महत्व को रेखांकित किया।
रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज के सभागार में आयोजित मंडलीय जल संचयन संगोष्ठी में उमाशंकर पाण्डेय ने कहा, जल की हर बूंद अनमोल है, इसे बचाना ही भविष्य को बचाना है। पानी बनाया नहीं जा सकता, केवल संरक्षित किया जा सकता है। उनका यह संदेश केवल बुंदेलखंड तक सीमित नहीं, बल्कि एक वैश्विक चेतावनी है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक दुनिया की आधी से अधिक आबादी जल संकट से जूझेगी।
सामूहिक प्रयास जरूरी
कार्यक्रम में चित्रकूट धाम मंडल के आयुक्त अजीत कुमार ने कहा कि जल संरक्षण केवल सरकारी योजनाओं तक सीमित नहीं रह सकता, बल्कि सामूहिक प्रयास ही इस संकट का समाधान है। उन्होंने जल प्रबंधन की प्रभावी रणनीतियों पर प्रकाश डाला और स्थानीय समुदायों को योजनाओं से जुड़ने का आह्वान किया।
इस संगोष्ठी में शामिल प्रमुख ग्राम प्रधानों, किसानों और विशेषज्ञों ने अपने अनुभव साझा किए, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि स्थानीय स्तर पर छोटे-छोटे प्रयास भी बड़े बदलाव ला सकते हैं।
ये कदम आवश्यक
✅ वर्षा जल संचयन को अनिवार्य बनाना
✅ भूजल पुनर्भरण के लिए तालाबों और झीलों का पुनर्जीवन
✅ कृषि में ड्रिप इरिगेशन और जल-कुशल तकनीकों को बढ़ावा
✅ गांवों और शहरों में जल संरक्षण के प्रति जन-जागरूकता अभियान
बुंदेलखंड से प्रेरणा
इस संगोष्ठी में उपस्थित सरकारी अधिकारी, कृषि विशेषज्ञ और स्थानीय नेता सभी इस बात पर सहमत थे कि जल संकट केवल भारत का नहीं, बल्कि पूरी दुनिया का मुद्दा है। बांदा से उठी यह पहल एक मिसाल है कि यदि स्थानीय स्तर पर जल संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं, तो यह एक वैश्विक परिवर्तन का आधार बन सकता है।
💧 “अब पानी की एक-एक बूंद कीमती है—संरक्षण ही भविष्य की कुंजी है!” 🌱