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किसी भी स्थिति में हों, अपनी रुचि और जुनून को कभी मत छोड़ें

किसी भी स्थिति में हों, अपनी रुचि और जुनून को कभी मत छोड़ें

राघव एक छोटे से गांव में पला-बढ़ा था। उसके पिता एक किसान थे, और उसकी मां एक गृहिणी। घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन राघव के माता-पिता ने उसे हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। राघव पढ़ाई में औसत था, लेकिन उसकी एक खासियत थी जो उसे सबसे अलग बनाती थी—उसे चित्रकारी से बेहद लगाव था।

राघव ने बचपन में ही दीवारों पर चित्र बनाना शुरू कर दिया था। चाहे खेत में काम करने वाले मजदूर हों या पशु-पक्षी, वह सबकुछ बड़े ध्यान से कागज पर उतारने की कोशिश करता। उसके दोस्त उसे अक्सर चिढ़ाते कि चित्रकारी से क्या होगा, लेकिन राघव को अपने काम से सच्ची खुशी मिलती थी। उसे न तो किसी का मजाक परेशान करता और न ही समाज की बातें।

जब वह आठवीं कक्षा में पहुंचा, तो उसके स्कूल में एक आर्ट प्रतियोगिता आयोजित की गई। राघव ने सोचा कि यह उसकी प्रतिभा को दिखाने का अच्छा मौका है। उसने एक गांव के जीवन पर आधारित चित्र बनाया, जिसमें किसानों की मेहनत, प्रकृति का सौंदर्य और ग्रामीण जीवन की सादगी को उकेरा था। जब परिणाम घोषित हुए, तो राघव ने पहला स्थान हासिल किया।

यह उसकी जिदगी का पहला बड़ा मोड़ था। परंतु राघव की असली यात्रा तो अब शुरू होने वाली थी। स्कूल के आर्ट टीचर, मिस्टर वर्मा, ने उसकी प्रतिभा को पहचान लिया और उसे प्रोत्साहित किया। उन्होंने राघव से कहा, तुममें कुछ खास है। तुम्हारी रुचि और तुम्हारी प्रतिभा मिलकर तुम्हें आगे ले जाएंगी, बस इसे कभी छोड़ना मत। राघव ने उनके शब्दों को दिल से लगा लिया।

उसने अपने चित्रों में और मेहनत करना शुरू किया, पर अब उसकी दिशा साफ थी। वह हर रोज अपने गांव, प्रकृति और लोगों के जीवन को कागज पर उतारता और उसकी कला धीरे-धीरे निखरने लगी। कुछ साल बाद, राघव का चयन एक बड़े आर्ट कॉलेज में हुआ। अब उसकी कला की चर्चा गांव से शहर तक पहुंच चुकी थी। कॉलेज में भी वह अपने काम में डूबा रहता और नए-नए प्रयोग करता।

उसने एक दिन तय कर लिया था कि वह अपनी कला के जरिए अपने गांव का नाम रोशन करेगा। राघव की मेहनत और प्रतिभा रंग लाई। उसके चित्रों की पहली प्रदर्शनी शहर के सबसे बड़े आर्ट गैलरी में आयोजित हुई। वहां उसकी कलाकृतियों को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आए। हर किसी ने उसकी कला की तारीफ की। उस दिन राघव को एहसास हुआ कि जब किसी कार्य में रुचि और प्रतिभा का संगम होता है, तो उत्कृष्टता स्वाभाविक होती है।

वह लड़का, जो कभी गांव की दीवारों पर चित्र बनाता था, अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने चित्रों से पहचान बना चुका था। उसकी सफलता सिर्फ उसकी कला की नहीं थी, बल्कि उसके जुनून, मेहनत और दृढ़ संकल्प की जीत थी। राघव की कहानी से यह स्पष्ट होता है कि जब आप अपनी रुचि और प्रतिभा को साथ लेकर चलते हैं, तो चाहे कितनी भी कठिनाइयां आएं, आप उत्कृष्टता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं।

सफलता महज भाग्य का खेल नहीं होती, यह उन लोगों का पुरस्कार है जो अपने काम से प्रेम करते हैं और उसे पूरी लगन से करते हैं। कहानी से सीख मिलती है कि जब रुचि और प्रतिभा एक साथ मिलती हैं, तो सफलता स्वाभाविक रूप से आपके कदम चूमती है। आप चाहे किसी भी स्थिति में हों, अपनी रुचि और जुनून को कभी मत छोड़ें, क्योंकि वही आपको दुनिया में अलग पहचान दिलाएगी।