नई दिल्ली, 15 अक्टूबर 2024। भारत और अमेरिका के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र में बढ़ते सहयोग से वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा को नया आयाम मिल रहा है। अनुसंधान, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, क्षमता निर्माण और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देकर दोनों देश न केवल अपनी स्वास्थ्य प्रणालियों को सशक्त कर रहे हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य परिणामों में सुधार की दिशा में भी बड़े कदम उठा रहे हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी मंच के वार्षिक शिखर सम्मेलन 2024 को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि भारत फार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में एक वैश्विक नेता के रूप में उभरा है। भारत न केवल जेनेरिक दवाओं का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, बल्कि अमेरिका सहित दुनिया भर में सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं का प्रमुख आपूर्तिकर्ता भी है।
उन्होंने कहा कि भारत के फार्मास्युटिकल उद्योग ने वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों में, विशेषकर अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में, महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि भारत में अमेरिका के बाहर सबसे अधिक यूएस एफडीए-अनुमोदित फार्मास्युटिकल संयंत्र स्थित हैं, जो कि अमेरिका के बाहर यूएस एफडीए-अनुमोदित दवाओं की कुल संख्या का 25 प्रतिशत हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत का योगदान न केवल अपने देश तक सीमित है, बल्कि वह वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।
वैक्सीन उत्पादन में अग्रणी भारत
पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने यह भी बताया कि वैक्सीन उत्पादन में भारत एक अग्रणी देश है। दुनिया में निर्मित सभी वैक्सीनों में से 50 प्रतिशत भारत में निर्मित होती हैं। पिछले एक वर्ष में निर्मित और वितरित की गई कुल आठ अरब वैक्सीन खुराकों में से चार अरब खुराक भारत में बनाई गईं। यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से बताता है कि भारत न केवल अपनी जरूरतों को पूरा कर रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी वैक्सीन उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य कार्यबल
स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की दिशा में भारत ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। केंद्रीय सचिव ने बताया कि भारत ने चिकित्सा शिक्षा में सुधार किया है और पुराने नियामक ढांचे को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम और अन्य संबंधित कानूनों के साथ बदल दिया है। इसका परिणाम यह हुआ कि मेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों की संख्या में वृद्धि हुई और नामांकन की दर में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ। इसके चलते भारत एक सक्षम और सशक्त स्वास्थ्य कार्यबल का निर्माण कर रहा है, जो न केवल देश की, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य जरूरतों को भी पूरा करेगा।
भारत-अमेरिका स्वास्थ्य साझेदारी
स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच मजबूत साझेदारी दोनों देशों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक उदाहरण है। श्रीमती पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने अपने भाषण में बताया कि भारत और अमेरिका के बीच महामारी की तैयारी, रोगाणुरोधी प्रतिरोध और रोग निगरानी जैसे क्षेत्रों में गहरी साझेदारी है। उन्होंने विशेष रूप से राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) और यूएस रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के बीच की सहयोगात्मक साझेदारी का उल्लेख किया, जो वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए एक मजबूत आधार तैयार कर रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत-अमेरिका स्वास्थ्य वार्ता जैसी पहलों ने रोग निगरानी, महामारी की तैयारी और रोगाणुरोधी प्रतिरोध जैसे क्षेत्रों में ठोस परिणाम दिए हैं। यह साझेदारी न केवल वर्तमान चुनौतियों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भविष्य में उभरने वाली स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए भी दोनों देशों को तैयार कर रही है।