रायपुर, 21 अक्टूबर 2024। छत्तीसगढ़ में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने 8 नवंबर को राज्यव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। इसके तहत सभी आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहेंगे और कामकाज ठप रहेगा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संयुक्त मंच छत्तीसगढ़ की प्रांतीय बैठक में इस आंदोलन का निर्णय लिया गया है, जिसमें जिला मुख्यालयों पर धरना, रैली और प्रदर्शन किया जाएगा। इस दौरान प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा।
छत्तीसगढ़ के महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में काम कर रही कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की मुख्य मांगें जीविका योग्य वेतन, वृद्धावस्था पेंशन, ग्रेच्युटी और समूह बीमा योजना जैसी सुविधाओं को लागू करने से जुड़ी हैं। लंबे समय से ये कार्यकर्ता और सहायिकाएं राज्य सरकार से इन मूलभूत सुविधाओं के लिए लगातार अपनी आवाज उठा रही हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।
संयुक्त मंच के अनुसार, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय बहुत कम है, जिससे उनके जीवन यापन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, सरकार द्वारा समय पर मानदेय का भुगतान भी नहीं हो पाता, जिससे आर्थिक संकट उत्पन्न होता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे सिर्फ एक मानसेवी कर्मचारी के रूप में कार्य कर रही हैं, लेकिन उनके साथ सरकारी कर्मचारी की तरह व्यवहार नहीं किया जाता है, जबकि वे कई अन्य विभागीय कार्यों में भी सहयोग करती हैं।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मुताबिक, केंद्र संचालन और विभागीय योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के साथ-साथ उन्हें निर्वाचन संबंधी कार्यों, बीएलओ की जिम्मेदारियों और कई अन्य विभागीय कार्यों में भी लगाया जाता है। हालांकि, महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव के निर्देश के अनुसार, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से विभागीय कार्यों के अलावा अन्य कोई कार्य नहीं लिया जाना चाहिए, लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि ड्रेस पहनने के मामले में भी उन पर अनुचित दबाव डाला जा रहा है। सरकार के निर्देश के अनुसार, अगर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ड्रेस नहीं पहनतीं, तो उनका मानदेय काट लिया जाता है। इस पर कार्यकर्ताओं का कहना है कि ड्रेस को पहचान बताने का जरिया बनाना सही नहीं है, क्योंकि वे स्वयं अपने गांव की बेटियां और बहुएं हैं, जिन्हें गांव के लोग भली-भांति जानते हैं।
विभागीय गतिविधियों और योजनाओं के संचालन में आ रही समस्याओं के बारे में संयुक्त मंच का कहना है कि बार-बार सरकार को अवगत कराने के बावजूद समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है। मानदेय का समय पर भुगतान, मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों में हो रहे भ्रष्टाचार, सहायिकाओं की पदोन्नति में विसंगतियां, मोबाइल और नेट सुविधाओं की कमी जैसी समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
20 सितंबर 2024 को संयुक्त मंच ने विभागाध्यक्ष के साथ बैठक की थी और उन्हें ज्ञापन सौंपा था, जिसमें इन समस्याओं के निराकरण की मांग की गई थी, लेकिन कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला। इसके अलावा, ड्रेस कोड के संबंध में भी चर्चा की गई थी, लेकिन उस पर भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया।
संयुक्त मंच के द्वारा 19 अक्टूबर 2024 को रायपुर में आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 8 नवंबर 2024 को प्रदेशभर के हर जिले में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन और काम बंद आंदोलन किया जाएगा। इस दौरान आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद रखा जाएगा और सभी जिला मुख्यालयों पर रैली और प्रदर्शन किया जाएगा।
संयुक्त मंच ने यह भी मांग की है कि कार्यकर्ता श्रीमती सुमन यादव की बहाली की जाए, जो कि हाल ही में सेवा से बर्खास्त कर दी गई हैं। इसके अलावा, उन्होंने सुपरवाइजरों के लिए भी ड्रेस कोड लागू करने और विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों का स्थानांतरण अन्यत्र किए जाने की भी मांग की है, जो तीन साल से अधिक समय से एक ही स्थान पर पदस्थ हैं।
बैठक में संयुक्त मंच की प्रमुख पदाधिकारियों में श्रीमती रूक्मणी सज्जन, प्रांताध्यक्ष बस्तर, श्रीमती सरिता पाठक, प्रांताध्यक्ष, हेमाभारती, कल्पना चंद, पार्वती यादव (कबीरधाम), संतोषी वर्मा (राजनांदगांव), पिंकी ठाकुर, लता तिवारी (खैरागढ़), सुधा रात्रे (महासमुंद), जयश्री राजपूत, आर.पी. शर्मा, सौरभ यादव और विश्वजीत देवेन्द्र पटेल उपस्थित थे।
संयुक्त मंच ने अपने आंदोलन के जरिए केंद्र और राज्य सरकार को यह स्पष्ट संदेश देने का प्रयास किया है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं अब अपने हक और अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने सरकार से उनकी मांगों को जल्द से जल्द पूरा करने का आग्रह किया है, ताकि उन्हें बेहतर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके और उनकी जीवन स्थितियों में सुधार हो सके।