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प्रतापगढ़ में गरमाया बिजली विभाग के भ्रष्टाचार का मुद्दा, कर्मचारी धरने पर बैठे

प्रतापगढ़ में बिजली विभाग में गरमाया भ्रष्टाचार का मुद्दा, कर्मचारी धरने पर बैठे

प्रतापगढ़, 9 नवंबर 2024 । उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में उत्तर प्रदेश बिजली कर्मचारी संघ की जिला इकाई द्वारा चलाया जा रहा धरना प्रदर्शन आज छठे दिन भी जारी रहा। यह आंदोलन लाइन मेंटेनेंस और परिचालन में कार्यरत श्रमिकों के समायोजन में भ्रष्टाचार, अनियमितता और बिना सुरक्षा सामग्री के कार्य कराए जाने के मुद्दों पर आधारित है।

धरना स्थल पर मजदूर नेता हेमंत नंदन ओझा ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि अधीक्षण अभियंता और संबंधित फर्म लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण आंदोलन की उपेक्षा कर रहे हैं और कर्मचारियों को कार्य बहिष्कार के लिए उकसा रहे हैं। उनका कहना है कि अधिकारियों द्वारा समस्याओं का समाधान निकालने में कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है, जबकि अक्टूबर 2024 में बिना किसी नोटिस के कई नई नियुक्तियां कर ली गई हैं।

धरना स्थल पर उठाए गए प्रमुख मुद्दे

  1. भ्रष्टाचार और मनमानी नियुक्तियां: प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि अक्टूबर 2024 में कई नई नियुक्तियां बड़े पैमाने पर रिश्वत लेकर की गई हैं, जिसमें कई लोग बिना कार्य किए वेतन पा रहे हैं।
  2. बिना सुरक्षा सामग्री के कार्य: कर्मचारियों को सेंसर हेलमेट, अर्थिंग रॉड, और मानक के अनुसार सीढ़ी जैसे आवश्यक सुरक्षा उपकरण प्रदान नहीं किए गए हैं, जो उनकी सुरक्षा के लिए जरूरी हैं। इसके बावजूद, अधिकारियों द्वारा बिना सुरक्षा सामग्री के कार्य कराया जा रहा है।
  3. पूर्व कर्मचारियों की सेवा निरंतरता का उल्लंघन: जेम पोर्टल की नीति के अनुसार पूर्व से कार्यरत श्रमिकों की सेवा में निरंतरता बनाए रखनी चाहिए, परंतु अधिकारियों द्वारा इस नियम का पालन नहीं किया जा रहा है।
  4. वेतन में अनियमितता: अक्टूबर 2024 में पूरा कार्य लेने के बावजूद कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया, और इसके बदले कई ऐसे व्यक्तियों को वेतन दिया गया है जो कार्यस्थल पर उपस्थित भी नहीं रहते।
  5. समायोजन में भेदभाव: श्रमिकों का समायोजन वरिष्ठता के आधार पर किया जाना चाहिए, परंतु इसमें भी अनियमितता की गई है, जिससे कई अनुभवी कर्मचारियों को अनदेखा किया गया है।

अधीक्षण अभियंता और अधिकारियों से संघ के सवाल

प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जारी किए गए सवालों में कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:

  • नई नियुक्तियों की सूची का विवाद: अधीक्षण अभियंता और फर्म द्वारा प्रस्तुत सूची में भिन्नता के कारण यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि कौन कर्मचारी वास्तव में कार्यरत हैं और किसे गलत तरीके से जोड़ा गया है।
  • अनुबंधित वाहनों का दुरुपयोग: कई उपखंड अधिकारी अनुबंधित वाहनों के ड्राइवरों को लाइन मेंटेनेंस और परिचालन कर्मचारियों के रूप में वेतन दिला रहे हैं।
  • वास्तविक कंप्यूटर ऑपरेटर का अभाव: कार्यालय में कंप्यूटर चलाने का कार्य असल कर्मचारियों की जगह लाइनमैन या परिचालन कर्मचारियों को दिया जा रहा है। अगर कंप्यूटर ऑपरेटरों की आवश्यकता है, तो उनका अलग टेंडर क्यों नहीं किया जाता?
  • अनुचित अटेंडेंस और नाम हटाने का मामला: नई फर्म द्वारा कुछ कर्मचारियों के फॉर्म भरवाने के बाद उन्हें अटेंडेंस लिस्ट से अचानक हटा दिया गया, जिससे कर्मचारियों में नाराजगी है।

संगठन का रुख और आगामी रणनीति

उत्तर प्रदेश बिजली कर्मचारी संघ ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में स्पष्ट किया है कि वह भ्रष्टाचार, अनियमितता और श्रमिकों के अधिकारों के हनन के खिलाफ अपने आंदोलन को जारी रखेगा। संघ के नेताओं का कहना है कि यदि अधिकारियों ने जल्द ही उचित समाधान नहीं निकाला, तो वे आंदोलन का स्वरूप बदलकर इसे और भी अधिक मजबूती से आगे बढ़ाएंगे।

यह प्रदर्शन जिला स्तर पर बिजली विभाग के प्रशासनिक ढांचे में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितता को लेकर श्रमिकों के बीच गहरी नाराजगी का संकेत है।