मुंबई, 21 अप्रैल 2025। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बच्चों और किशोरों के लिए बैंकिंग को और सुलभ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सोमवार को जारी एक अधिसूचना में आरबीआई ने सभी वाणिज्यिक और सहकारी बैंकों को निर्देश दिया है कि अब किसी भी आयु के नाबालिग अपने अभिभावक के माध्यम से बचत और सावधि जमा खाता खोल सकेंगे। ये नए दिशा-निर्देश 01 जुलाई 2025 से प्रभावी होंगे और मौजूदा नियमों को अधिक व्यावहारिक व सुव्यवस्थित बनाने के उद्देश्य से लागू किए गए हैं।
नए नियमों के तहत, 10 वर्ष या उससे अधिक आयु के नाबालिग, जो सक्षम हों, बैंक की जोखिम प्रबंधन नीति के अनुसार स्वतंत्र रूप से खाता खोलने और संचालित करने के पात्र होंगे। यह कदम न केवल बच्चों में वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देगा, बल्कि उन्हें कम उम्र से ही बचत और वित्तीय प्रबंधन की आदत विकसित करने में मदद करेगा। आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि जब नाबालिग वयस्क हो जाएगा, तो खाताधारक के नए परिचालन निर्देश और हस्ताक्षर नमूने प्राप्त किए जाएंगे। यदि खाता अभिभावक द्वारा संचालित था, तो शेष राशि की पुष्टि अनिवार्य होगी।
इसके अतिरिक्त, बैंक अपनी आंतरिक नीतियों के आधार पर नाबालिग खाताधारकों को एटीएम, डेबिट कार्ड, चेकबुक, और इंटरनेट बैंकिंग जैसी सुविधाएँ प्रदान कर सकेंगे। हालांकि, आरबीआई ने यह सुनिश्चित करने को कहा है कि नाबालिगों के खाते हमेशा क्रेडिट बैलेंस में रहें और उनमें ओवरड्राफ्ट की अनुमति न दी जाए। यह प्रावधान वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा देने और जोखिमों को कम करने के लिए किया गया है।
खाता खोलने और संचालन के दौरान बैंकों को ग्राहक की उचित जांच-पड़ताल और केवाईसी (अपने ग्राहकों को जानें) दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करना होगा। यह सुनिश्चित करेगा कि खातों का दुरुपयोग न हो और पारदशिर्ता बनी रहे। आरबीआई ने बैंकों को सलाह दी है कि वे 01 जुलाई 2025 तक अपनी नीतियों में आवश्यक संशोधन कर लें। तब तक मौजूदा नीतियां लागू रहेंगी।
यह कदम बच्चों और युवाओं को वित्तीय समावेशन से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। विशेषज्ञों का मानना है कि कम उम्र में बैंकिंग सुविधाओं से परिचय न केवल वित्तीय जागरूकता बढ़ाएगा, बल्कि भविष्य में आर्थिक आत्मनिर्भरता को भी प्रोत्साहित करेगा। इसके साथ ही, अभिभावकों को भी अपने बच्चों की बचत को सुरक्षित और व्यवस्थित रूप से प्रबंधित करने का अवसर मिलेगा।
आरबीआई का यह निर्णय डिजिटल और वित्तीय समावेशी भारत के विजन को साकार करने की दिशा में एक और कदम है। बैंकों से अपेक्षा है कि वे इन दिशा-निर्देशों को प्रभावी ढंग से लागू करें ताकि नई पीढ़ी को वित्तीय प्रणाली से जोड़ा जा सके। इस कदम से न केवल बच्चों में बचत की आदत विकसित होगी, बल्कि देश की आर्थिक प्रगति में भी दीर्घकालिक योगदान मिलेगा।