प्रतापगढ़, 24 अप्रैल 2025। उत्तर प्रदेश की सियासत में अपनी अलग पहचान रखने वाले कुंडा के विधायक और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह, जिन्हें लोग प्यार से राजा भइया कहते हैं, ने अपने दोनों बेटों शिवराज प्रताप सिंह (बड़े राजा) और बृजराज प्रताप सिंह (छोटे राजा) को सादगी के साथ राजनीति की पाठशाला में दाखिला करा दिया।
यह ऐतिहासिक क्षण 24 अप्रैल 2025 को कुंडा के बाबूगंज स्थित जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के केंद्रीय कार्यालय में देखने को मिला, जहां बिना किसी शोर-शराबे या कार्यकर्ताओं के हुजूम के, दोनों युवा नेताओं को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता दिलाई गई। इस मौके पर पार्टी के जिलाध्यक्ष राम अचल वर्मा ने दोनों को सदस्यता ग्रहण कराई, जबकि राष्ट्रीय महासचिव डॉ. के.एन. ओझा और प्रदेश अध्यक्ष विनोद सरोज भी उपस्थित रहे।
राजा भइया की इस पहल को उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़े बदलाव की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। कुंडा विधानसभा क्षेत्र, जो लंबे समय से राजा भइया का गढ़ रहा है, अब उनके बेटों के नेतृत्व में नई दिशा की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में राजा भइया अपने बड़े बेटे शिवराज प्रताप सिंह को कुंडा से पार्टी का उम्मीदवार बना सकते हैं।
यह कदम न केवल जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की नई पीढ़ी को सामने लाने की रणनीति को दर्शाता है, बल्कि राजा भइया की उस सादगी और अनुशासन को भी रेखांकित करता है, जिसके लिए वे जाने जाते हैं।
इस आयोजन की खास बात यह थी कि इसमें किसी तरह की राजनैतिक नारेबाजी या दिखावे की राजनीति नहीं की गई। आमतौर पर जब किसी बड़े नेता के परिवार का कोई सदस्य राजनीति में कदम रखता है, तो भव्य समारोह और कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटाई जाती है। लेकिन राजा भइया ने अपने बेटों की एंट्री को बेहद सादगीपूर्ण और गरिमामय रखा।
यह उनके व्यक्तित्व का वह पहलू है, जो उन्हें अन्य नेताओं से अलग करता है। कुंडा के स्थानीय लोगों का कहना है कि राजा भइया ने हमेशा सादगी और जनसेवा को प्राथमिकता दी है, और अब वे अपने बेटों को भी यही संस्कार दे रहे हैं। शिवराज प्रताप सिंह और बृजराज प्रताप सिंह की राजनीतिक एंट्री से जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल है।
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. के.एन. ओझा ने कहा, शिवराज और बृजराज नई पीढ़ी के नेतृत्व का प्रतीक हैं। इनके आने से पार्टी को नई ऊर्जा मिलेगी और कुंडा के विकास को नई गति। प्रदेश अध्यक्ष विनोद सरोज ने इसे राजा भइया की दूरदर्शिता का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि राजा भइया ने हमेशा जनता के हित को सर्वोपरि रखा है, और अब उनके बेटे भी उसी राह पर चलेंगे।
कुंडा विधानसभा क्षेत्र में राजा भइया का प्रभाव बरकरार है। 1993 से वे इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और हर बार भारी मतों से जीत हासिल करते आए हैं। उनकी लोकप्रियता का आधार उनकी सुलभता, जनता के प्रति समर्पण और क्षेत्र के विकास के लिए किए गए कार्य हैं।
अब उनके बेटों की एंट्री से यह उम्मीद जताई जा रही है कि कुंडा का यह गढ़ और मजबूत होगा। स्थानीय लोगों का कहना है कि शिवराज और बृजराज को अपने पिता की तरह ही जनता का प्यार और समर्थन मिलेगा।
राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि राजा भइया की यह रणनीति 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर बनाई गई है। उत्तर प्रदेश की सियासत में कुंडा हमेशा से एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है, और राजा भइया की तटस्थ लेकिन प्रभावशाली छवि ने उन्हें हर दल के लिए महत्वपूर्ण बना दिया है। ऐसे में शिवराज की उम्मीदवारी न केवल जनसत्ता दल के लिए, बल्कि पूरे प्रदेश की राजनीति के लिए एक बड़ा बदलाव ला सकती है।
इस आयोजन ने एक बार फिर साबित किया कि राजा भइया की राजनीति शोर और दिखावे से परे है। उनके बेटों की सादगीपूर्ण एंट्री ने न केवल कार्यकर्ताओं, बल्कि आम जनता के बीच भी एक सकारात्मक संदेश दिया है। अब सभी की निगाहें 2027 के चुनाव पर टिकी हैं, जब शिवराज प्रताप सिंह कुंडा की सियासत में अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए मैदान में उतर सकते हैं। यह नई शुरुआत निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ेगी।