प्रतापगढ़, 23 नवंबर 2024। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के छोटे से गांव बोधई का पुरवा का नाम आज राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है। कारण है इस गांव के होनहार पुत्र अविनाश सिंह तोमर, जो चर्चित फिल्म द साबरमती रिपोर्ट के पटकथा लेखक हैं। यह फिल्म न केवल आलोचकों की प्रशंसा बटोर रही है, बल्कि बॉक्स ऑफिस पर भी सफलता के झंडे गाड़ रही है।
अविनाश सिंह तोमर की इस उपलब्धि पर न केवल उनका परिवार, बल्कि पूरा प्रतापगढ़ जिला गर्व महसूस कर रहा है। वर्तमान में मुंबई में रहने वाले अविनाश का सफर एक साधारण गांव से शुरू होकर बॉलीवुड तक पहुंचने का प्रेरणादायक उदाहरण है।
अविनाश सिंह तोमर का जन्म प्रतापगढ़ जिले के जेठवारा थाना क्षेत्र के बोधई का पुरवा गांव में हुआ। उनके पिता वीरेन्द्र पाल सिंह तोमर और परिवार के अन्य सदस्य कभी नहीं सोच सकते थे कि उनका बेटा एक दिन देश के नामचीन पटकथा लेखकों में शुमार होगा।
अविनाश की प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ में हुई। पढ़ाई के दौरान ही उनकी मेहनत और बुद्धिमत्ता ने उन्हें अपने सहपाठियों के बीच अलग पहचान दिलाई। उनके चाचा अनंत सिंह तोमर ने दूरभाष पर बताया कि अविनाश का चयन लखनऊ में पढ़ाई के दौरान ही आईटीसी कंपनी में कैंपस सेलेक्शन के माध्यम से हुआ था। हालांकि, यह नौकरी उनके सपनों को संतुष्ट नहीं कर सकी और उन्होंने इसे जल्द ही छोड़ दिया।
नौकरी छोड़ने के बाद अविनाश का रुझान साहित्य और लेखन की ओर बढ़ा। इस दौरान उनकी मुलाकात प्रख्यात कवि कुमार विश्वास से हुई। कुमार विश्वास ने अविनाश की लेखन प्रतिभा को पहचाना और उन्हें अपने गुरु पीएन मिश्र से परिचित कराया। पीएन मिश्र से मिले मार्गदर्शन ने अविनाश को पटकथा लेखन के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिए प्रेरित किया।
अविनाश सिंह तोमर ने पटकथा लेखन के क्षेत्र में कड़ी मेहनत करते हुए खुद को साबित किया। द साबरमती रिपोर्ट उनकी सबसे बड़ी और चर्चित उपलब्धि बनकर उभरी है। यह फिल्म अपने अनूठे कथानक, सामाजिक संदेश और दमदार लेखन के कारण देशभर में प्रशंसा बटोर रही है।
फिल्म में उनकी लिखावट की गहराई और विषय की समझ ने इसे विशेष बनाया है। इस सफलता ने न केवल अविनाश को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है, बल्कि उनके गांव और जिले को भी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।
अविनाश की सफलता से उनका परिवार और गांव बेहद खुश हैं। उनके चाचा अनंत सिंह तोमर ने बताया, अविनाश की उपलब्धि पूरे परिवार के लिए गर्व का विषय है। हम कभी नहीं सोच सकते थे कि वह इतनी ऊंचाई पर पहुंचेगा।
गांव के लोगों का कहना है कि अविनाश ने यह साबित कर दिया है कि कड़ी मेहनत और सही मार्गदर्शन से हर सपना साकार किया जा सकता है। अविनाश की सफलता अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है। उनके संघर्ष और दृढ़ निश्चय ने यह दिखाया कि छोटे गांव से आने वाले लोग भी बड़े सपने देख सकते हैं और उन्हें पूरा कर सकते हैं।
अविनाश सिंह तोमर की कहानी यह साबित करती है कि प्रतिभा को केवल मंच की जरूरत होती है। प्रतापगढ़ के छोटे से गांव से निकलकर बॉलीवुड में अपने हुनर का परचम लहराना एक बड़ी उपलब्धि है। द साबरमती रिपोर्ट की सफलता न केवल उनकी मेहनत का परिणाम है, बल्कि इस बात का उदाहरण भी है कि सही दिशा में प्रयास से हर असंभव लक्ष्य को संभव बनाया जा सकता है।
प्रतापगढ़ और पूरे देश को अब अविनाश की आने वाली फिल्मों का बेसब्री से इंतजार है।