नई दिल्ली, 27 नवंबर 2024। अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) ने आज स्पष्ट किया कि अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और वरिष्ठ कार्यकारी विनीत जैन पर अमेरिकी विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) के उल्लंघन के आरोप नहीं लगाए गए हैं।
कंपनी ने एक आधिकारिक बयान में मीडिया में आई रिपोर्टों को गैर-जिम्मेदार और मनगढंत करार दिया और कहा कि अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) और प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग (एसईसी) द्वारा दर्ज अभियोग और शिकायत में अडानी समूह के अधिकारियों पर रिश्वत देने या भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है।
एजीईएल के मुताबिक, डीओजे अभियोग में अडानी समूह के अधिकारियों का नाम न तो भ्रष्टाचार के पांच अभियोगों में शामिल है, न ही किसी सरकारी अधिकारी को रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है। कंपनी ने कहा कि विभिन्न मीडिया संस्थानों ने अभियोग का गलत विश्लेषण किया और झूठे आरोप लगाए, जिससे समूह की छवि और व्यवसाय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। अभियोग में रिश्वत के वादे और चर्चाओं का जिक्र किया गया है, लेकिन यह सब एज़्योर पावर के पूर्व कर्मचारियों की सुनी-सुनाई बातों पर आधारित है।
कंपनी ने आरोप लगाया कि अमेरिका की बेबुनियाद कार्रवाई और लापरवाही से अडानी समूह को निम्नलिखित नुकसान झेलने पड़े हैं। 11 सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में $55 अरब डॉलर की गिरावट आयी।
अडानी समूह ने पिछले कुछ वर्षों में अफ्रीका, बांग्लादेश, श्रीलंका, इज़राइल, और ऑस्ट्रेलिया जैसे क्षेत्रों में अपने परिचालन का विस्तार किया है। समूह अब वैश्विक ऊर्जा और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में कई अमेरिकी और चीनी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है। डीओजे के आरोपों के बाद समूह की अंतरराष्ट्रीय छवि पर गंभीर असर पड़ा है।
20 नवंबर 2024 को जारी एफबीआई के बयान में दावा किया गया था कि गौतम अडानी और अन्य अधिकारियों ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देकर अनुबंध हासिल किया और निवेशकों को धोखा दिया। 21 नवंबर 2024 को अडानी समूह के प्रवक्ता ने इन आरोपों को निराधार और अस्थिर बताते हुए खारिज किया।
कंपनी ने अपनी जिम्मेदारी पर जोर देते हुए कहा, हम भारत के सबसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्लेयर हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। झूठी रिपोर्टिंग और आधारहीन आरोपों ने हमारी साख को नुकसान पहुंचाया है, लेकिन हम तथ्यों के साथ अपनी छवि को साफ करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
यह स्पष्ट है कि अडानी समूह पर लगाए गए आरोपों की सच्चाई अभी विवाद का विषय बनी हुई है। समूह का यह बयान मीडिया और न्यायालय के समक्ष अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।