नई दिल्ली, 3 दिसंबर 2024। बोतल बंद पानी का मतलब शुद्धता की गारंटी नहीं हैं। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण यानि फसाई ने पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर और मिनरल वाटर को हाई रिस्क की श्रेणी में शामिल किया है। अब ये उत्पाद अनिवार्य निरीक्षण और तीसरे पक्ष की आडिट के अधीन होंगे। यह बदलाव इन उत्पादों के लिए भारतीय मानक ब्यूरो से प्रमाणन की आवश्यकता को हटाने के सरकार के अक्टूबर में लिए गए फैसले के बाद आया है।
पैकेज्ड पानी और मिनरल वाटर को हाई रिस्क की श्रेणी में रखने का मतलब यह नहीं है कि ये उत्पाद असुरक्षित हैं। इसका मतलब है कि अब इन उत्पादों की सख्त सुरक्षा जांच की जाएगी। अब निर्माताओं और व्यवसायों को उपभोक्ताओं के लिए गुणवत्ता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए नियमित निरीक्षण और वार्षिक आडिट से गुजरना होगा। इससे सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू हो सकेगा।
इससे पहले पैकेज्ड पेयजल उद्योग ने केंद्र सरकार से सुव्यवस्थित नियमों की वकालत की थी, जिसमें बीआईएस यानि भारत मानक ब्यूरा और फसाई दोनों द्वारा दोहरे प्रमाणन की आवश्यकताओं को हटाना शामिल था। उन्होंने दो अलग-अलग प्राधिकरणों से प्रमाणन प्राप्त करने की आवश्यकता को हटाने की मांग की थी। उनका कहना था कि दोहरी प्रमाणन प्रक्रिया से इस व्यवसायों के सामने लागत में बढ़ोतरी, प्रशासनिक बोझ और प्रक्रियागत देरी जैसी चुनौतियों खड़ी हो रही है। इसका आम आदमी पर सीधा असर पड़ रहा है।
अक्टूबर 2024 में सरकार ने कंपनियों की मांगों को मानते हुए बीआईएस प्रमाण पत्र लेने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था। अब कंपनियों को हर साल नियमित निरीक्षण और आडिटिंग से गुजरना पड़ेगा।