रायपुर, 3 नवंबर 2024। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ए2 मिल्क रिसर्च कारपोरेशन में देश की पहली देशी गाय डीएनए टेस्टिंग लैब की स्थापना की गयी है। इसका शुभारंभ शनिवार 2 नवंबर 2024 को ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने किया। इस अवसर पर संस्थान के प्रमुख राजेंद्र तंबोली एवं श्रीमती मीरा तंबोली ने शंकराचार्य जी के चरण पादुका का सपरिवार पूजन किया।
शंकराचार्य स्वामी श्री ने कहा कि देश में गऊ आंदोलन को कई स्तरों पर चलाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि एक ओर गौ सांसद और गौ विधायक, गाय को राष्ट्र माता और राज्य माता का दर्जा दिलाने के लिए जनप्रतिनिधियों पर दबाव बनाएंगे। साथ ही, भारतीय नस्ल की गायों की पहचान के लिए देशभर में डीएनए परीक्षण का कार्यक्रम चलाया जाएगा, जिससे भारतीय नस्ल की गायों की संख्या और स्थिति का सही आंकलन हो सके।
गौ संरक्षण के लिए कार्य योजनाएं तैयार
शंकराचार्य स्वामी जी ने कहा कि आने वाले समय में डीएनए परीक्षण के बाद भारतीय नस्ल की गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य को और विस्तार दिया जाएगा। इस अभियान के तहत अगले छह महीनों के लिए कार्य योजनाएं निर्धारित हो चुकी हैं। 36 राज्यों की यात्रा के बाद लोकसभा और विधानसभा स्तर पर गौ सांसद और गौ विधायक आंदोलन के जरिए गौ माता को राष्ट्र और राज्य माता का दर्जा दिलाने की दिशा में जागरूकता बढ़ाई जा रही है।
ए2 मिल्क रिसर्च कारपोरेशन
राजेंद्र तंबोली ने शंकराचार्य जी को ए2 मिल्क रिसर्च कारपोरेशन की कार्यप्रणाली और लक्ष्य से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि संस्थान पिछले एक दशक से राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई), करनाल के सहयोग से भारतीय नस्ल की गायों के डीएनए टेस्टिंग और प्रमाणन पर कार्य कर रहा है। इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि उपभोक्ताओं को सही जानकारी मिले कि वह भारतीय नस्ल की गाय का दूध ले रहे हैं या विदेशी नस्ल का।
शंकराचार्य जी का स्वागत करने और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए राजेंद्र तंबोली के साथ-साथ आनंद तंबोली, जयप्रकाश तंबोली, धीरेंद्र तंबोली, आशा तंबोली, उमा तंबोली, मीरा तंबोली, रेखा तंबोली, गिरीश पंकज, योगेश चौहान, वीरेंद्र ठाकुर, प्रदीप देवांगन, राम थवाईत, संतोष महोबिया, राहुल देवांगन सहित अनेक लोग उपस्थित थे।
गौ आंदोलन का विस्तार
शंकराचार्य स्वामी जी ने इस अवसर पर कहा कि गौ माता को राष्ट्र और राज्य माता का दर्जा दिलाने का यह अभियान अब गांव-गांव तक पहुंचना है। इस आंदोलन का उद्देश्य भारतीय नस्ल की गायों का संरक्षण, संवर्धन और उनको एक विशेष पहचान दिलाना है।