इंसानियत की मिसाल: झाड़ी में मिली लावारिश बच्ची को दरोगा ने बनाया अपनी बेटी

इंसानियत की मिसाल: झाड़ी में मिली लावारिस बच्ची को दरोगा ने बनाया अपनी बेटी

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नई दिल्ली, 12 अक्टूबर 2024। जब देशभर में नवरात्रि के अष्टमी के दिन छोटी बच्चियों को देवी के रूप में पूजने की परंपरा निभाई जा रही थी, उस दिन उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के डासना इलाके में एक नवजात बच्ची को झाड़ियों में लावारिस हालत में छोड़ दिया गया। यह दुखद घटना मसूरी थाना क्षेत्र के इनायतपुर गांव की है, जहां बच्ची को छोड़ने वाले का कोई सुराग नहीं मिल पाया है।

झाड़ियों में पड़ी इस नवजात बच्ची की जान उसकी करुण आवाजों ने बचाई। आसपास से गुजर रहे लोगों ने बच्ची के रोने की आवाज सुनी और तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दी। माना जा रहा है कि किसी ने लोकलाज के डर से बच्ची को त्याग दिया था। मौके पर पहुंची पुलिस ने बच्ची को सुरक्षित निकाल लिया और उसे अपने कब्जे में ले लिया।

इस घटना में मानवता की अद्भुत मिसाल पेश की इलाके के चौकी प्रभारी पुष्पेंद्र ने। जैसे ही उन्होंने लावारिस बच्ची को देखा, उन्होंने तुरंत उसे गोद लेने का निर्णय लिया। हालांकि, उन्होंने इसके लिए पहले अपनी पत्नी से फोन पर बात की और उनसे पूछा कि क्या वे इस बच्ची को अपना सकते हैं।

पत्नी ने नवरात्रि के मौके पर एक कन्या के घर आने को शुभ मानते हुए इसे स्वीकार कर लिया। पुष्पेंद्र और उनकी पत्नी को शादी के कई सालों के बाद भी संतान की प्राप्ति नहीं हुई थी, और अब उन्हें यह बच्ची ईश्वर का वरदान लगी।

हालांकि, पुष्पेंद्र ने इस लावारिस बच्ची को एक पिता के रूप में अपनाने का निर्णय तो ले लिया है, लेकिन कानूनी प्रक्रिया अभी पूरी होनी बाकी है। लावारिस बच्चों को गोद लेने के लिए कानूनी शर्तें और प्रक्रियाएं पूरी करनी होती हैं, जिसके लिए पुष्पेंद्र ने पहल कर दी है।

इस नवजात बच्ची को पाकर पुष्पेंद्र और उनका पूरा परिवार बेहद खुश हैं। लावारिस नवजात कन्या को घर लाने के बाद उनके परिवार में उत्साह और आनंद का माहौल है। बच्ची को नवरात्रि के पावन अवसर पर घर में लाना उनके लिए सौभाग्य की बात है, और इसने पूरे परिवार में एक नई उमंग भर दी है।

इस घटना ने समाज के सामने एक अद्भुत उदाहरण पेश किया है, जहां एक पुलिसकर्मी ने न सिर्फ अपने कर्तव्य का पालन किया, बल्कि इंसानियत का एक उच्च आदर्श भी प्रस्तुत किया। यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि मानवता और दया के कार्य हमारे समाज को और भी सुंदर और सहानुभूतिपूर्ण बना सकते हैं।

इस कहानी ने इलाके में चर्चा का विषय बनकर लोगों के दिलों को छू लिया है।