प्रतापगढ़, 27 फरवरी 2025। शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिभाएं केवल किताबों तक सीमित नहीं होतीं, वे समाज के विकास की नींव भी रखती हैं। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के अंकुर त्रिपाठी ने इसी सोच को साकार करते हुए कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है।
कुंडा तहसील के विकास खंड बाबागंज अंतर्गत बघवाइत गांव के साधारण किसान परिवार में जन्मे अंकुर ने बचपन से ही अपने पिता डॉ. मनोज त्रिपाठी को खेतों में अनुसंधान करते देखा। पिता के मार्गदर्शन और अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने कृषि वैज्ञानिक पद के लिए आगरा कृषि विश्वविद्यालय में चयन प्राप्त कर अपने जिले का नाम रोशन किया।
अंकुर का यह सफर उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने का हौसला रखते हैं।
गांव की उन्नति का संकल्प
अंकुर ने अपनी सफलता पर कहा, मैंने हमेशा देखा कि मेरे गांव के किसान उचित मार्गदर्शन के अभाव में पारंपरिक खेती करते हैं। मेरा सपना है कि मैं नई तकनीकों और शोध के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाऊं।
परिवार की प्रेरणा बनी कामयाबी की कुंजी
उनके पिता डॉ. मनोज त्रिपाठी, जो स्वयं एक प्रधान कृषि वैज्ञानिक हैं, ने कहा, अंकुर की सफलता केवल हमारी खुशी नहीं, बल्कि समाज के हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो विज्ञान के माध्यम से समाज को बदलना चाहता है।
युवा वैज्ञानिकों के लिए संदेश
अंकुर की सफलता यह साबित करती है कि यदि जुनून और समर्पण हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं। वह आज की पीढ़ी को संदेश देते हैं: कभी भी छोटे सपने मत देखो। विज्ञान और शिक्षा के माध्यम से गांव की तरक्की ही असली सफलता है।
प्रतापगढ़ की नई पहचान
अंकुर त्रिपाठी का यह सफर न केवल उनके गांव, बल्कि पूरे जिले के लिए शैक्षणिक क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। उनकी सफलता उन युवाओं को संदेश देती है कि गांव की मिट्टी में भी सपनों की फसल लहलहा सकती है।
🌱 “शिक्षा की रोशनी से गांव का भविष्य संवारते युवा ही समाज के असली नायक हैं।” 🌾