भगवान की विशेष कृपा से ही जीव को मिलता है सत्संग का सौभाग्य : स्वामी राघवाचार्य

स्वामी राघवाचार्य जी के प्रवचनों से भक्तों को मिला सत्संग का सौभाग्य

रायपुर, 19 अक्टूबर 2024। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पुरानी बस्ती स्थित महामाया मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा की गंगा भक्तों के हृदयों को भक्ति रस से सराबोर कर रही है। प्रतिदिन शाम तीन बजे से सात बजे तक आयोजित इस ज्ञान यज्ञ में स्वामी राघवाचार्य जी महाराज के श्रीमुख से कथा श्रवण का अवसर 21 अक्टूबर तक प्राप्त होगा।

कथा के चौथे दिन स्वामी राघवाचार्य जी महाराज, जो श्रीरामलला सदन, देवस्थान ट्रस्ट रामकोट, अयोध्या के अध्यक्ष भी हैं, ने भगवान के नाम का संकीर्तन कर कथा अनुष्ठान की शुरुआत की। उन्होंने सत्संग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब भगवान की विशेष कृपा होती है, तभी जीव को सत्संग का सौभाग्य प्राप्त होता है। भगवान की करुणा से जीव सत्संग के माध्यम से भगवान की लीलाओं को सुनकर यह समझता है कि भगवान ही जीवन का सार तत्व हैं। सत्संग के बिना कोई भी भगवान और परमात्मा के तत्व को समझ नहीं सकता है।

स्वामी राघवाचार्य जी ने श्रवण की महत्ता पर बल देते हुए कहा कि वेदों में बताया गया है कि सबसे पहले सुनने का अभ्यास करना चाहिए। यदि व्यक्ति ध्यानपूर्वक कथा सुनने का अभ्यास कर लेता है, तो उसके जीवन में सब कुछ संभव हो जाता है। उन्होंने कहा कि यदि भक्त चार घंटे तक एकाग्र होकर भगवान की कथा का श्रवण करें और हर शब्द पर विचार करें, तो यही श्रवण भक्ति कहलाती है। कथा में अनुराग उत्पन्न होना ही भक्ति के आगमन का संकेत है।

देवर्षि नारद का उदाहरण देते हुए स्वामी जी ने कहा कि नारद जी के अनुसार, जब जीव के हृदय में भगवान की कथा के प्रति प्रीति उत्पन्न हो जाती है, तो यही सच्ची भक्ति है। यह प्रीति जीवन की एक महान उपलब्धि है, जिसके बाद भक्त को सभी प्रकार की सफलताएं प्राप्त होती हैं।

भक्तों ने स्वामी जी के प्रवचनों को श्रद्धा से सुना और भगवान की भक्ति में डूबकर कथा का आनंद लिया। भक्तों का मानना है कि स्वामी राघवाचार्य जी के सत्संग और श्रीमद्भागवत कथा से उनके जीवन में अध्यात्म और भक्ति का मार्ग स्पष्ट हो रहा है।