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अहिंसा और शांति के प्रचारक थे भंते सुगतानंद, 41वीं पुण्यतिथि पर किये गए याद

अहिंसा और शांति के प्रचारक थे भंते सुगतानंद, 41वीं पुण्यतिथि पर किये गए याद

प्रतापगढ़, 2 नवंबर 2024। रंजीतपुर चिलबिला में जनपद के धम्म संस्थापक स्वर्गीय भंते सुगतानंद जी के 41वें पुण्य स्मृति दिवस के अवसर पर उनकी तपोस्थली सुगतानंद बुद्ध विहार में एक विशेष श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। भिक्षु संघ, उपासकों और उपासिकाओं ने उनकी समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ भंते धम्मदीप, भंते अश्वजीत और भंते शांति मित्र ने बुद्ध वंदना, त्रिशरण और पंचशील के पाठ के साथ किया। इसके पश्चात भिक्षु संघ द्वारा आनापान ध्यान साधना कराई गई। भिक्षुओं ने भंते सुगतानंद के बताए गए सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की दिशा में धम्म देशना दी। इस मौके पर पूज्य भंते सुगतानंद जी के चित्र पर दीप प्रज्वलित कर उनके योगदान को श्रद्धांजलि दी गई और पूरे बुद्ध विहार को दीपमालाओं से सजाया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री राम उमर वैश्य ने कहा कि भंते सुगतानंद जी अहिंसा और शांति के प्रचारक थे। उनका मानना था कि विश्व में शांति और मानव कल्याण तभी संभव है जब अहिंसा और प्रेम का संदेश जन-जन तक पहुंचे।

मुख्य अतिथि और वरिष्ठ बौद्ध विचारक डॉ. दयाराम मौर्य “रत्न” ने अपने विचार रखते हुए कहा कि भंते सुगतानंद जी ने प्रतापगढ़ के साथ प्रयागराज, कौशांबी और सुल्तानपुर में धम्म के प्रसार और संरक्षण में अतुलनीय योगदान दिया। उन्होंने बताया कि पंथ और संप्रदाय की दूरियों को मिटाकर ही वास्तविक शांति और मानवता की रक्षा संभव है।

कार्यक्रम का संचालन कर रहे राकेश कनौजिया ने कहा कि धम्म सेवा और परोपकार का मार्ग है, जो सभी को जोड़ने का माध्यम है। प्रेम, सद्भावना और करुणा का आचरण धम्म का मूल भाव है।

इस अवसर पर भोजन दान का आयोजन संत प्रसाद लोहिया के नेतृत्व में किया गया, जिसमें सभी उपासकों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में अटेवा अध्यक्ष सी.पी. राव ने आभार व्यक्त करते हुए कहा, युद्ध का विकल्प बुद्ध हैं। केवल बुद्ध के मार्ग पर चलकर ही सम्पूर्ण विश्व वसुधैव कुटुंबकम् के भाव में बंध सकता है।

इस कार्यक्रम में विशेष रूप से बहन लीलावती, वेद प्रकाश, दिनेश कुमार, डॉ. विजय सरोज, रंजू संजय, अवधेश अंजनी, राजेंद्र कुमार, आचार्य उमेश चंद्र, सुनीता, राम प्यारी, तुलसीराम कनौजिया, शेर बहादुर और अन्य स्थानीय नागरिक उपस्थित थे। सभी ने भंते सुगतानंद जी के कार्यों और उनके दिखाए मार्ग पर चलने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।