सहारनपुर, 30 दिसंबर 2024। आज जहां दहेज प्रथा समाज में एक गंभीर समस्या बनी हुई है, वहीं उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की नकुड़ तहसील के अंबेहटा कस्बे के छोटे से गांव शंभूगढ़ से एक प्रेरणादायक खबर सामने आई है। यहां के निवासी और पीसीएस अधिकारी भानु प्रताप सिंह ने बिना दहेज की शादी कर समाज को एक नई दिशा दिखाई है।
भानु प्रताप सिंह ने अपनी शादी में दहेज के रूप में सिर्फ एक रुपया और शगुन के रूप में एक नारियल लेकर एक सशक्त संदेश दिया। यह निर्णय उस समय और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब समाज में दहेज प्रथा के चलते कई परिवार आर्थिक बोझ से दब जाते हैं। भानु प्रताप का यह कदम समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक बड़ी पहल है।
भानु प्रताप सिंह के पिता दलबीर सिंह, जो पहले पीडब्ल्यूडी विभाग में सेवाएं दे चुके हैं, और उनकी मां निमर्ला ने इस शादी में दहेज न लेने का निर्णय किया। उनके भाई सुरेंद्र कुमार और पूरे परिवार ने इस सोच का समर्थन किया। परिवार के इस कदम की न केवल गांव में बल्कि अन्य जगहों पर भी प्रशंसा हो रही है।
भानु प्रताप सिंह ने उत्तराखंड के बहादराबाद के गांव बेगमपुर की रहने वाली शिवांशी से विवाह किया। शिवांशी एक साधारण परिवार से हैं, और यह शादी इस बात का उदाहरण है कि रिश्तों में सादगी और सम्मान सबसे महत्वपूर्ण हैं। महिला सशक्तिकरण को बल देने के उनके इस कदम की हर तरफ सराहना हो रही है।
आज जब दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों के कारण कई परिवार संकट का सामना कर रहे हैं, भानु प्रताप सिंह का यह निर्णय समाज में नई सोच को बढ़ावा देता है। भानु प्रताप ने इस कदम के जरिए यह संदेश दिया कि महिलाओं का सम्मान दहेज से नहीं बल्कि उनके व्यक्तित्व और योगदान से होना चाहिए।