लखनऊ (ASR24 NEWS), 4 जनवरी 2025। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत 1.42 लाख शिक्षामित्रों को नए साल का बड़ा तोहफा दिया है। शासन ने शिक्षामित्रों के लिए उनके मूल विद्यालय (पहले तैनाती स्थल) पर वापसी का आदेश जारी किया है। खास बात यह है कि महिला शिक्षामित्रों को विशेष लाभ देते हुए उन्हें ससुराल के जिले में तैनाती पाने का विकल्प भी दिया गया है।
शासनादेश के तहत महिला शिक्षामित्र वर्तमान विद्यालय में बने रहने, मूल विद्यालय जाने या पति के निवास प्रमाण पत्र के आधार पर ससुराल के गांव, पंचायत या वार्ड के विद्यालय में तैनाती का विकल्प चुन सकती हैं। यह फैसला महिलाओं के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है, खासकर उन महिलाओं के लिए, जिनकी शादी दूसरे जिले में हुई है।
पुरुष और अविवाहित शिक्षामित्रों को अपने वर्तमान विद्यालय में बने रहने या मूल विद्यालय में जाने का विकल्प मिलेगा। यदि मूल विद्यालय में पद खाली नहीं है, तो ग्राम सभा, ग्राम पंचायत या वार्ड के अन्य विद्यालयों में खाली पद पर तैनाती दी जाएगी।
ऑनलाइन आवेदन
बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. एमकेएस सुंदरम ने बताया कि जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति यह प्रक्रिया एनआईसी द्वारा विकसित सॉफ़्टवेयर के माध्यम से पूरी करेगी। इसके लिए शिक्षामित्रों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। जो शिक्षामित्र वर्तमान विद्यालय में बने रहना चाहते हैं, उनके आवेदन पर कोई अलग कार्यवाही नहीं होगी।
बड़ा लाभ, बड़ी उम्मीद
शासनादेश के अनुसार, इस निर्णय से लगभग 30 से 40 हजार शिक्षामित्रों को लाभ मिलेगा। जुलाई 2018 में भी ऐसा अवसर दिया गया था, लेकिन तब 20 से 25 हजार शिक्षामित्र इस सुविधा से वंचित रह गए थे। अब इस निर्णय के साथ, शिक्षामित्र अपने घर के नजदीक या ससुराल के जिले में नौकरी कर सकेंगे।
शिक्षामित्रों की मांग
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, शिक्षामित्रों का मानदेय काफी कम है और दूर के विद्यालयों में काम करना उनके लिए चुनौतीपूर्ण होता है। यह फैसला उनकी समस्याओं को काफी हद तक हल करेगा। अब सरकार से मांग है कि जल्द ही मानदेय वृद्धि का आदेश भी जारी हो।
शिक्षामित्रों के लिए ऐतिहासिक
सितंबर 2001 से 2010 के बीच तैनात हुए 1.72 लाख शिक्षामित्रों में से कई को पहले उनके जिले में ही नौकरी मिली थी। अब इस फैसले के तहत वे अपने जिले में वापस आ सकेंगे। वर्तमान में शिक्षामित्रों को ₹10,000 का मानदेय मिलता है, जिसे बढ़ाने की मांग लंबे समय से चल रही है।