केन्द्र सरकार ने 7 प्रमुख कृषि कार्यक्रमों को दी मंजूरी

नई दिल्ली, 2 सितंबर 2024। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को कृषि क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए 13,966 करोड़ रुपए की लागत से 7 प्रमुख कृषि कार्यक्रमों को मंजूरी दी। इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य देशभर के किसानों की आय बढ़ाना, आधुनिक तकनीकों का समावेश करना, और कृषि शिक्षा व अनुसंधान को उन्नत करना है।

कैबिनेट ने डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के लिए 2,817 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। इस मिशन का लक्ष्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा, और भू-स्थानिक डेटा जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को कृषि प्रक्रियाओं में शामिल करना है। इस पहल के तहत एक व्यापक एग्री स्टैक तैयार किया जाएगा, जिसमें किसानों का रजिस्टर, गांव की भूमि के नक्शे और फसल बुवाई का रजिस्टर शामिल होगा।

इस मिशन के माध्यम से किसानों को उनकी फसल की जानकारी, मौसम पूवार्नुमान, मिट्टी की गुणवत्ता, और अन्य महत्वपूर्ण डेटा सीधे प्राप्त होगा। यह न केवल खेती की तकनीकों में सुधार लाएगा, बल्कि किसानों को सही समय पर आवश्यक संसाधन भी प्रदान करेगा, जिससे उनकी पैदावार और आय में वृद्धि होगी।

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए फसल विज्ञान कार्यक्रम के लिए 3,979 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई है। यह कार्यक्रम पौधों के आनुवंशिक संसाधन, खाद्य और चारा फसलों के सुधार, कीट और परागणकतार्ओं पर अनुसंधान पर केंद्रित होगा।

इस पहल के तहत पौधों की नई और अधिक प्रभावी प्रजातियों का विकास किया जाएगा, जो जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों का सामना कर सकें और बेहतर उत्पादन दे सकें। यह कार्यक्रम न केवल फसल उत्पादन में सुधार करेगा, बल्कि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी महत्वपूर्ण होगा।

कृषि शिक्षा को आधुनिक और उन्नत बनाने के लिए 2,291 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। इस पहल के तहत, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार कृषि शिक्षा को और उन्नत बनाया जाएगा।

इसका उद्देश्य छात्रों और शोधकर्ताओं को मौजूदा कृषि चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना है। इस पहल से कृषि शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा, जिससे नई पीढ़ी के किसान और वैज्ञानिक कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकेंगे।

सतत पशुधन स्वास्थ्य और उत्पादन के लिए 1,702 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पशुधन और डेयरी उत्पादन में सुधार करना है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सके।

इस पहल के तहत पशुधन के स्वास्थ्य की देखभाल, नई तकनीकों का समावेश और डेयरी उत्पादन में नवाचार को बढ़ावा दिया जाएगा। यह कार्यक्रम न केवल डेयरी उद्योग को मजबूती देगा, बल्कि किसानों की आय को भी बढ़ाएगा।

उद्यानिकी के सतत विकास के लिए 860 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य मसालों, औषधीय पौधों और अन्य उद्यानिकी फसलों की पैदावार बढ़ाना और किसानों की आय में वृद्धि करना है।

उद्यानिकी फसलों की उन्नत किस्मों का विकास, नवीनतम तकनीकों का समावेश और विपणन सुविधाओं का विस्तार इस कार्यक्रम के मुख्य घटक होंगे। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि उन्हें बाजार में बेहतर मूल्य भी मिल सकेगा।

कृषि विज्ञान केंद्रों को और अधिक सशक्त बनाने के लिए 1,202 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई है। इस पहल के तहत कृषि अनुसंधान और शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा।

कृषि विज्ञान केंद्रों का उद्देश्य किसानों को नई तकनीकों, फसलों और कृषि पद्धतियों के बारे में जागरूक करना और उन्हें आधुनिक कृषि के लिए तैयार करना है। यह कार्यक्रम कृषि क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान को भी प्रोत्साहित करेगा।

प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के लिए 1,115 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई है। इस पहल का उद्देश्य सतत संसाधन प्रबंधन सुनिश्चित करना और कृषि क्षेत्र में स्थायित्व लाना है।

इस कार्यक्रम के तहत जल, मिट्टी और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के समुचित प्रबंधन पर जोर दिया जाएगा, जिससे कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखा जा सकेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन 7 प्रमुख कृषि कार्यक्रमों की मंजूरी पर कहा कि ये कार्यक्रम न केवल किसानों की आय बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि कृषि क्षेत्र को आधुनिक और सशक्त बनाने में भी सहायक होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देकर किसानों को आत्मनिर्भर बनाया जाए।

केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए ये 7 कृषि कार्यक्रम देश के किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने और कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन से लेकर फसल विज्ञान कार्यक्रम तक, ये सभी पहलें आधुनिक तकनीकों, अनुसंधान और शिक्षा के माध्यम से कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने का लक्ष्य रखती हैं।

इन कार्यक्रमों से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी, जिससे भारत का कृषि क्षेत्र एक नई ऊंचाई पर पहुंचेगा।