प्रतापगढ़, 5 नवंबर 2024। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले की चांदनी श्रीवास्तव ने 2024 की यूजीसी-नेट जेआरएफ परीक्षा पास करके जिले का नाम रोशन किया है। चांदनी श्रीवास्तव मूल रूप से रानीगंज तहसील के आशीपुर गांव की रहने वाली हैं और उन्होंने अपनी परास्नातक की शिक्षा स्वामी करपात्री जी महाराज महाविद्यालय, दरियापुर से इसी वर्ष पूरी की है। उनकी इस सफलता पर परिवार, गांव और पूरे जिले में खुशी की लहर दौड़ गई है।
चांदनी के पिता, जो कि एक रिटायर्ड लेखपाल हैं, और उनकी माता, जो एक गृहिणी हैं, ने बेटी की इस उपलब्धि पर गर्व महसूस करते हुए उसे परिवार और समाज का गौरव बताया। साधारण परिवार में पली-बढ़ी चांदनी ने कठिन मेहनत और समर्पण के दम पर यह सफलता हासिल की है। उनकी इस उपलब्धि से न केवल उनके परिवार को, बल्कि उनके गांव और जिले को भी उन पर गर्व है।
मेहनत और समर्पण की मिसाल हैं चांदनी
चांदनी की यह सफलता उनके कठिन परिश्रम और दृढ़ संकल्प की कहानी कहती है। ग्रामीण क्षेत्र से आने के बावजूद चांदनी ने कभी अपने सपनों को सीमित नहीं होने दिया। उन्होंने अपनी पढ़ाई में पूरी तन्मयता दिखाई और सभी कठिनाइयों के बावजूद अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहीं। चांदनी ने कहा, मेरे माता-पिता ने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया और पढ़ाई में पूरा सहयोग दिया। मेरी सफलता उनके आशीर्वाद और मेरे अध्यापकों के मार्गदर्शन का परिणाम है।
अपने कठिन परिश्रम और समर्पण के कारण चांदनी ने यूजीसी-नेट जेआरएफ जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता प्राप्त की। इस परीक्षा के माध्यम से, उन्होंने देश भर के हजारों उम्मीदवारों के बीच अपनी योग्यता साबित की है, जो इस बात का प्रतीक है कि मेहनत से सब कुछ हासिल किया जा सकता है।
गांव से लेकर जिले तक खुशी की लहर
चांदनी की इस उपलब्धि से आशीपुर गांव में उत्सव का माहौल है। उनके इस सफर में गांववालों का भी पूरा समर्थन रहा। उनकी इस सफलता ने ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों के लिए एक प्रेरणा का काम किया है, खासकर उन लड़कियों के लिए जो बड़ी सफलताओं का सपना देखती हैं।
चांदनी के इस सफलता पर उनके अध्यापकों ने भी हर्ष जताया और कहा कि उनकी मेहनत और लगन का ही परिणाम है कि आज वह इस मुकाम पर पहुंची हैं। स्वामी करपात्री जी महाराज महाविद्यालय के शिक्षकों ने भी उनकी सफलता पर बधाई देते हुए कहा, चांदनी की यह सफलता हमारे लिए गर्व की बात है। उसने न केवल हमारे महाविद्यालय का नाम ऊंचा किया है, बल्कि जिले का मान भी बढ़ाया है।
भविष्य की योजनाएं
चांदनी श्रीवास्तव का उद्देश्य अब शिक्षा के क्षेत्र में उच्च अनुसंधान करना और शिक्षक बनने का है। उन्होंने बताया कि वह आने वाले समय में उच्च शिक्षा में अपना योगदान देना चाहती हैं और समाज को शिक्षित करने में अपनी भूमिका निभाना चाहती हैं। उनका सपना है कि वह एक प्रोफेसर बनें और समाज के वंचित वर्गों तक शिक्षा का प्रसार करें।
चांदनी ने यह भी कहा कि वह गांव के छात्रों को आगे बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन देना चाहती हैं, ताकि वे भी कठिन परिश्रम और आत्मविश्वास के दम पर बड़ी सफलता हासिल कर सकें। उन्होंने कहा, मेरा सपना है कि मैं ग्रामीण छात्रों के लिए एक उदाहरण बनूं और उन्हें बताऊं कि सीमित साधनों में भी बड़ी उपलब्धियां पाई जा सकती हैं।
परिवार और समाज का समर्थन
चांदनी के माता-पिता ने कहा कि उनकी बेटी ने उनके सपनों को साकार किया है। उनकी इस सफलता के लिए उन्होंने चांदनी के शिक्षकों और उनके महाविद्यालय का धन्यवाद किया। उनके पिता ने कहा, हमारे पास बहुत साधन नहीं थे, परंतु हमारी बेटी ने हमें इस उपलब्धि का गर्व दिया। हमें उम्मीद है कि वह आगे भी इसी तरह सफलता हासिल करती रहेगी।
युवाओं के लिए प्रेरणा
प्रतापगढ़ की चांदनी श्रीवास्तव की यह सफलता उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो मेहनत और लगन से अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं। चांदनी ने यह साबित कर दिया है कि सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों में भी मेहनत के बल पर बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं। उनके इस सफर ने शिक्षा के प्रति उनके जुनून और संकल्प का परिचय दिया है।
चांदनी की इस उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार का नाम रोशन किया है, बल्कि प्रतापगढ़ जिले को भी गर्व करने का अवसर दिया है। उम्मीद है कि वह आगे भी इसी तरह सफलता के नये आयाम स्थापित करेंगी और अपने गांव, जिले और राज्य का नाम ऊंचा करेंगी।