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जल संसाधन विभाग के ईई सुरेश पाण्डेय और प्रदीप कुमार वासनिक ने छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता के साथ की चीटिंग

छत्तीसगढ़ के 2 ईई ने महाधिवक्ता के साथ की चीटिंग
  • नाराज महाधिवक्ता ने मुख्य सचिव के साथ जीएडी और जल संसाधन विभाग के सचिव को कार्रवाई के लिए लिखा पत्र

रायपुर, 30 सितंबर 2024। छत्तीसगढ़ में जल संसाधन विभाग के अफसरों ने प्रदेश के महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत के साथ भी चीटिंग कर डाली। इस मामले का खुलासा होने पर नाराज महाधिवक्ता ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कड़ा ऐक्शन लेने के लिए प्रदेश के मुख्य सचिव, समान्य प्रशासन विभाग के सचिव और जल संसांधन विभाग के सचिव को पत्र लिखा है।

मजेदार बात है कि महाधिवक्ता ने 27 सितंबर को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा और 30 सितंबर तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी। इस संबंध में जल संसाधन विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी रविन्द्र मेडकर से बात हुई तो उन्होंने कहा कि अभी तक पत्र नहीं प्राप्त हुआ है जिसके कारण कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। यह पूरा घटनाक्रम राज्य में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा खोले गये नये विभाग सुसाशन की छवि धूमिल करता नजर आ रहा है।

ये है चीटिंग का पूरा मामला

महाधिवक्ता द्वारा लिखे पत्र के मुताबिक हाईकोर्ट में रिट याचिकाओं में विभाग की ओर से आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए जल संसाधन विभाग तांदुला डिवीजन दुर्ग में ईई सुरेश पाण्डेय को प्रभारी अधिकारी नामित किया गया है। 26 सितंबर को हाईकोर्ट में रिट संख्या 5507/2022, 2476/2023 और 5505/2022 की सुनवाई थी।

इसके लिए आवश्यक दस्तावेज सुरेश पाण्डेय को लेकर प्रस्तुत होना था किन्तु उनके स्थान पर जल संसाधन विभाग के कोरबा डिवीजन में ईई प्रदीप कुमार वासनिक पहुंचे और उन्होंने अपनी पहचान छिपाते हुए खुद को सुरेश पाण्डेय बताकर दस्तावेजों को महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों को प्रस्तुत कर दिया। विधि अधिकारियों द्वारा जब दस्तावेजों से संबंधित पूछताछ शुरू की गयी तो प्रदीप कुमार वासनिक हड़बड़ा गये और उन्होंने असलियत उजागर करते हुए कहा कि वह सुरेश पाण्डेय नहीं बल्कि प्रदीप कुमार वासनिक हैं।

सुसाशन विभाग बेअसर

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रदेश में सुशासन स्थापित करने के लिए अलग से सुशासन विभाग की स्थापना की है और भरोसेमंद आईपीएस अधिकारी राहुल भगत को इसकी जिम्मेदारी दी है। इस विभाग की स्थापना ही इसीलिये की गयी है कि प्रदेश में सुशासन के विरुद्ध हो रही एक्टीविटी पर रोक लगाई जा सके और ऐसे अधिकारी जो सुशासन की मंशा पर पानी फेर रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाये। पर यह विभाग पूरी तरह से फेल नजर आ रहा है।