रायपुर, 19 जनवरी 2025। छत्तीसगढ के महासमुंद स्थित न्यायालय में सिविल जज आकांक्षा भारद्वाज को फिर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। आठ साल पहले उन्हें हाईकोर्ट के विधि एवं विधाई विभाग ने सेवा से हटाया था। अब फिर उन्हें सेवामुक्त कर दिया गया है।
6 जनवरी 2025 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने उनकी सेवा समाप्त करने की अनुशंसा की थी, जिस पर विधि एवं विधायी विभाग ने अंतिम आदेश जारी किया। 14 जनवरी 2025 को अतिरिक्त सचिव दीपक कुमार देशलहरे ने उनकी सेवा समाप्ति का आदेश जारी किया है।
क्या है पूरा मामला
आकांक्षा भारद्वाज मूल रुप से बिलासपुर जिले के सरकंडा की रहने वाली हैं। 2012-13 में उनका चयन न्यायिक सेवाओं में सिविल जज पद पर हुआ था। 27 दिसंबर 2013 को उन्होंने पदभार ग्रहण किया। उनका आरोप था कि ज्वाइनिंग के समय उच्चाधिकारी ने उनके साथ अनुचित व्यवहार किया था किन्तु नई नौकरी होने के कारण उन्होंने इसकी कोई शिकायत नहीं की।
प्रशिक्षण पूर्ण होने के उपरान्त 2014 में उन्हें अंबिकापुर में सिविल जज प्रथम वर्ग 2 के पद पद पदस्थ किया गया। यहां तैनाती के दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि उक्त उच्चाधिकारी द्वारा उनके साथ फिर अनुचित व्यवहार किया गया। इसकी उन्होंने मौखिक के साथ लिखित शिकायत भी की।
जांच में गलत मिला आरोप
हाईकोर्ट ने महिला न्यायिक अधिकारी की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए प्रकरण की आंतरिक जांच कराई। आंतरिक जांच की रिपोर्ट 2016 में आयी और उसमें महिला न्यायिक अधिकारी के आरोप गलत पाये गये। इस रिपोर्ट के बाद जनवरी 2017 में आकांक्षा भारद्वाज को विधि एवं विधायी विभाग द्वारा सेवा से हटा दिया गया।
कोर्ट से मिला न्याय
महिला न्यायिक अधिकारी आकांक्षा ने विधि एवं विधायी विभाग के फैसले के विरुद्ध छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में अपील किया। सिंगल बेंच का फैसला महिला न्यायिक अधिकारी के पक्ष में आया। विधि एवं विधायी विभाग ने इसके खिलाफ डिवीजन बेंच में चुनौती दी पर वह खारिज हो गयी। अंतत: आकांक्षा भारद्वाज की सेवा को बहाल कर दिया गया। उन्हें महासमुंद में सिविल जज के पद पर पदस्थ किया गया। यहां उन्होंने कार्यभार संभाल लिया।
अब फिर सेवा से हटाया गया
हाईकोर्ट के विधि एवं विधायी विभाग ने 14 जनवरी 2025 को फिर महिला न्यायिक अधिकारी आकांक्षा भारद्वाज को सेवा से हटा दिया है। जानकारी के मुताबिक 6 जनवरी 2025 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने उनकी सेवा समाप्त करने की अनुशंसा की थी, जिस पर विधि एवं विधायी विभाग ने अंतिम आदेश जारी किया। 14 जनवरी 2025 को अतिरिक्त सचिव दीपक कुमार देशलहरे ने उनकी सेवा समाप्ति का आदेश जारी किया है।