नई दिल्ली, 1 मार्च 2025। भारत तेजी से बदलते तकनीकी युग में प्रवेश कर चुका है, जहां डिजिटल प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने न केवल जीवन को सरल बनाया है, बल्कि अपराधों की प्रकृति को भी बदल दिया है। इसी संदर्भ में, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गांधीनगर में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में एक सशक्त संदेश दिया।
उन्होंने कहा कि आधुनिक फोरेंसिक विज्ञान विशेषज्ञों की क्षमताएं बढ़ रही हैं, लेकिन अपराधी भी नई-नई तकनीकों का सहारा लेकर कानून को चुनौती दे रहे हैं। ऐसे में हमारी पुलिस, अभियोजन और न्याय प्रणाली से जुड़े लोगों को अपराधियों से अधिक सतर्क, अधिक बुद्धिमान और अधिक तत्पर रहना होगा। तभी हम अपराध पर कड़ी लगाम लगा सकेंगे और न्याय को सुलभ बना पाएंगे।
राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के योगदान से देश में एक मजबूत फोरेंसिक प्रणाली विकसित होगी, जिससे अपराधियों के पकड़े जाने की दर बढ़ेगी और सजा की संभावना मजबूत होगी। जब अपराधियों को पता होगा कि वे कानून की पकड़ से बच नहीं सकते, तो अपराध की प्रवृत्ति में कमी आएगी।
यह बयान देश में साइबर क्राइम, डिजिटल धोखाधड़ी और संगठित अपराधों पर बढ़ती चिंताओं के बीच आया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आधुनिक तकनीकों का सही उपयोग किया जाए, तो अपराध नियंत्रण पहले से कहीं अधिक प्रभावी हो सकता है।
फोरेंसिक विज्ञान में प्रगति का मतलब है – सटीक जांच, तेजी से न्याय और अपराध मुक्त समाज। राष्ट्रपति का यह संदेश युवाओं को भी प्रेरित करता है कि वे फोरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में कदम बढ़ाएं और न्याय की इस नई क्रांति का हिस्सा बनें।