प्रयागराज, 25 दिसंबर 2024। प्रयागराज में दशाश्वमेघ घाट को कौन नहीं जानता है। संगम नगरी प्रयागराज में 2025 में लगने वाले महाकुंभ की तिथि नजदीक आती जा रही हैं। मेला स्थल पर प्रशासन भव्य तैयारियां कर रहा है। इसी संगम नगरी में एक स्थान है दशाश्वमेघ घाट। इस घाट को भी आकर्षक ढंग से सजाया गया है।
यह वही घाट है जिसके बारे में कहा जाता है कि ब्रह्मा ने यहां पहला यज्ञ किया था। प्रयागराज के दारागंज में अब तक इस कच्चे एवं पौराणिक घाट को उत्तर प्रदेश सरकार ने खास तौर पर तैयार कराया है।
110 मीटर लंबे दशाश्वमेध घाट पर सुंदर कलाकृतियां बनाई गई हैं, कहते हैं ब्रह्मा जी ने यहीं पर पहला यज्ञ किया था। द्वापर युग में युधिष्ठर ने भी यहां अश्वमेध यज्ञ किया था और यहां से दस अश्व दसों दिशाओं में छोड़े थे। इसीलिए इसे दशाश्वमेध घाट कहा जाता है।
मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने यहाँ दस अश्वमेध यज्ञ किए, जिससे इस घाट का नाम ‘दशाश्वमेध’ (दस अश्वमेध) पड़ा। यह यज्ञ सृष्टि के प्रारंभिक चरणों में किया गया माना जाता है, जिससे यह घाट धार्मिक महत्व का केंद्र बन गया।
यह घाट मोक्ष प्राप्ति के लिए पवित्र माना जाता है, और यहां स्नान करने से पापों का नाश होने की मान्यता है।
कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने यहां अपने वामन अवतार में बलि राजा से तीन पग भूमि माँगी थी, जिसके बाद यह स्थान और भी पवित्र माना जाने लगा।