दिलबंधु मझवार जीवित पाए गए: अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह की रिपोर्ट पर उठे सवाल

रायपुर, 12 नवंबर 2024। घाटबर्रा के दिलबंधु मझवार की जीवित स्थिति की पुष्टि के बाद अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह की रिपोर्ट विवादों में घिर गई है। आयोग के अध्यक्ष, जो कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता भी हैं, ने यह दावा किया था कि परसा खदान की ग्रामसभा के प्रस्ताव में एक मृत व्यक्ति, दिलबंधु मझवार के हस्ताक्षर पाए गए हैं। इसके बाद राज्य प्रशासन और समाचार माध्यमों द्वारा सत्यापन में दिलबंधु को जीवित पाया गया।

झूठी रिपोर्ट का खुलासा

भानुप्रताप सिंह ने अपने पद का इस्तेमाल कर सचिव की सहमति के बिना एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें दावा किया गया था कि ग्रामसभा की प्रक्रिया फर्जी थी और उसमें मृतक के हस्ताक्षर शामिल थे। हालाँकि इस दावे को गलत साबित किया गया, जब दिलबंधु को खुद तहसील कार्यालय में पेश कर रजिस्टर में मौजूद हस्ताक्षर सत्यापित किए गए।

दिलबंधु मझवार का बयान

घाटबर्रा निवासी दिलबंधु मझवार ने मीडिया को बताया, मैं जीवित हूँ और ग्राम सभा में अपने हस्ताक्षर खुद किए हैं। मेरी मृतक के रूप में झूठी खबर फैलाकर मेरे अस्तित्व पर सवाल खड़ा करना दुर्भाग्यपूर्ण है। मैंने जिलाधीश महोदय और एसडीएम के समक्ष सभी दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए हैं। ग्राम पंचायत सचिव गोपाल राम यादव ने भी दिलबंधु की उपस्थिति की पुष्टि की और फर्जी रिपोर्ट का खंडन किया।

परसा खदान का विवाद

राजस्थान सरकार का विद्युत उत्पादन निगम परसा खदान में कार्यान्वयन की तैयारी में है, जिससे लगभग 5,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न होने की संभावना है। झूठी रिपोर्ट और गलत सूचना के अभियानों के भंडाफोड़ के बाद अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाएगा।