रीवा, 5 मार्च 2025। परमात्मा का प्रकाश सदा प्रकाशित रहता है, उसे बुझाना हमारी परंपरा नहीं। दीपक की लौ में स्वयं भगवान का वास होता है, इसलिए उसे कभी मुंह से नहीं बुझाना चाहिए। ये उत्तम उपदेश आदि शक्ति ज्योतिष अनुष्ठान केंद्र, विपिन गार्डन, नई दिल्ली के संचालक एवं विंध्यपीठ शक्ति धाम शेषपुर आशिक कुंडा, प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश) के पीठाधीश्वर कुलदीप जी महाराज (अनन्तानंद जी) ने श्रीमद्भागवत कथा के दौरान कहे।
मध्य प्रदेश के मिसिरिहा मऊगंज, रीवा में आयोजित इस पावन कथा महोत्सव में परीक्षित श्रीमती रजनी शुक्ला एवं केसरी प्रसाद शुक्ला को कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि भगवान सर्वत्र व्याप्त हैं— भूमि में, गगन में, वायु में, जल में और हमारे हृदय में। उनके स्मरण, सेवा और भक्ति से ही जीवन का असली उद्देश्य पूर्ण होता है।
श्रीमद्भागवत कथा का यह आध्यात्मिक आयोजन भक्ति, श्रद्धा और आस्था का दिव्य संगम बना। इस अवसर पर पुष्पेंद्र शुक्ला, अभिशेष शुक्ला, सौरभ पांडेय, रौनक मिश्रा, रमाकांत मिश्रा, रामभरोस सोधिया, भैया लाल सोधिया, मनोज पांडेय, जागेश्वर आदिवासी, आशा शुक्ला, पुष्पा शुक्ला, चंद्रकला शुक्ला, विधि शुक्ला, नीतू मिश्रा, रोशनी मिश्रा, गरिमा शुक्ला, प्रिया मिश्रा सहित अनेक श्रद्धालु भगवत कथा अमृत का रसपान करने पहुंचे।
महाराज जी के वचनों ने श्रद्धालुओं को आत्मिक शांति का अनुभव कराया और सभी ने सत्संग व भक्ति के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।