रायपुर, 15 अक्टूबर 2024। गर्भाशय ग्रीवा कैंसर पर एम्स रायपुर के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख, प्रोफेसर (डॉ.) सिद्धार्थ नंदा ने हाल ही में वाशिंगटन, डी.सी., यूएसए में आयोजित अमेरिकन सोसाइटी ऑफ रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट (ASTRO) के प्रतिष्ठित 66वें वार्षिक सम्मेलन में अपना नवीनतम शोध प्रस्तुत किया। यह सम्मेलन दुनिया भर के रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट और कैंसर अनुसंधानकर्ताओं के लिए एक प्रमुख मंच है, जहां अत्याधुनिक शोध और नवीनतम चिकित्सा तकनीकों पर चर्चा की जाती है।
डॉ. नंदा की प्रस्तुति का शीर्षक था: कोन बीम कंप्यूटेड टोमोग्राफी का उपयोग करके गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के रोगियों में इमेज-गाइडेड रेडियोथेरेपी के दौरान अंतर-भिन्न मूत्राशय भरने में भिन्नता पर अवलोकन संबंधी अध्ययन। इस अध्ययन में गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के रोगियों में इमेज-गाइडेड रेडियोथेरेपी (IGRT) के दौरान मूत्राशय के भरने के पैटर्न में होने वाले बदलावों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो रेडियोथेरेपी की सटीकता और प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकते हैं।
इस शोध में यह देखा गया कि मूत्राशय की स्थिति में मामूली बदलाव भी उपचार के परिणामों को कैसे प्रभावित कर सकते हैं। कोन बीम कंप्यूटेड टोमोग्राफी (CBCT) का उपयोग करके, डॉ. नंदा और उनकी टीम ने यह समझने का प्रयास किया कि किस प्रकार मूत्राशय के भिन्न-भिन्न भराव से रेडियोथेरेपी की योजना में परिवर्तन हो सकता है। यह शोध गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के रोगियों के लिए अधिक सटीक और व्यक्तिगत उपचार योजनाओं के विकास में सहायक हो सकता है, जिससे कैंसर के खिलाफ लड़ाई में बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
डॉ. नंदा की इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के पीछे उनकी समर्पित टीम का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस टीम में उनके सहयोगी डॉ. मापुजी मेहर, डॉ. सिमरन, और अरुण दास शामिल थे, जिन्होंने इस अध्ययन के हर चरण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
डॉ. सिद्धार्थ नंदा और उनकी टीम का यह शोध न केवल गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के उपचार में इमेज-गाइडेड रेडियोथेरेपी की सटीकता को बढ़ाने में सहायक है, बल्कि यह रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के क्षेत्र में नई दिशा भी दिखाता है। उनके इस अध्ययन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया, और इससे यह उम्मीद जगी है कि कैंसर के उपचार में और भी बेहतर तरीकों का विकास किया जा सकेगा।