उत्तर प्रदेश के कानपुर में रविवार 8 सितंबर 2024 की देर रात एक गंभीर रेल दुर्घटना होने से बच गई, जब प्रयागराज-भिवानी कालिंदी एक्सप्रेस पटरियों पर रखे गए एक एलपीजी सिलेंडर से टकरा गई। गनीमत रही कि सिलेंडर में विस्फोट नहीं हुआ और यह टकराकर दूर चला गया, जिससे ट्रेन को पटरी से उतारने की साजिश नाकाम हो गई। इस घटना ने रेलवे सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, और पुलिस ने इसे एक बड़ी साजिश मानते हुए जांच शुरू कर दी है।
घटना के समय कालिंदी एक्सप्रेस तेज रफ्तार से कानपुर से गुजर रही थी। अगर सिलेंडर में विस्फोट हो जाता, तो यह दुर्घटना भयावह रूप ले सकती थी, जिससे भारी जान-माल का नुकसान होता। फोरेंसिक टीम जांच में जुटी हुई है, और अपराधियों तक पहुंचना बेहद जरूरी है ताकि भविष्य में इस तरह की साजिशों से बचा जा सके।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब इस क्षेत्र में इस तरह की घटना हुई हो। कुछ ही हफ्ते पहले, 17 अगस्त 2024 को वाराणसी-अहमदाबाद साबरमती एक्सप्रेस के 22 डिब्बे कानपुर के पास पटरी से उतर गए थे। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में भी एक ट्रेन हादसे में चार यात्रियों की जान चली गई थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि कानपुर-दिल्ली रूट, जो अत्यधिक व्यस्त और संवेदनशील है, पर रेलवे सुरक्षा को और अधिक मजबूत करने की जरूरत है। कालिंदी एक्सप्रेस के साथ हुई इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि रेल संचालन और सुरक्षा के प्रति अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
केंद्र सरकार ने इस मामले की जांच एनआईए को सौंप दी है, जो एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। अब समय आ गया है कि रेल हादसों और साजिशों के पीछे की सच्चाई को उजागर किया जाए और बड़े अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए।