इलेक्ट्रॉनिक समन और डिजिटल रिकॉर्ड नए कानून में सबूत के रूप में मान्य

इलेक्ट्रॉनिक समन और डिजिटल रिकॉर्ड नए कानून में सबूत के रूप में मान्य

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नई दिल्ली, 1 सितंबर 2024। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार, 31 अगस्त को घोषणा की कि अब इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक मोड में समन भेजने की व्यवस्था को कानूनी रूप से मान्यता दी गई है।

श्री मोदी ने जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में नए कानूनों को “औपनिवेशिक मानसिकता की जंजीरों से मुक्ति” दिलाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड को अब सबूत के रूप में मान्यता प्राप्त है।

प्रधानमंत्री ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता का उल्लेख करते हुए कहा कि न्यायपालिका पर लंबित मामलों का बोझ कम करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मोड में समन भेजने की व्यवस्था लागू की गई है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि देश ने आजादी के 70 वर्षों में पहली बार कानूनी इन्फ्रास्ट्रक्चर में इतने बड़े और महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं।

नई भारतीय न्याय संहिता का जिक्र करते हुए श्री मोदी ने कहा कि इन कानूनों की भावना ‘नागरिक पहले, सम्मान पहले, और न्याय पहले’ पर आधारित है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के आपराधिक कानून अब शासकों और गुलामों की औपनिवेशिक मानसिकता की जंजीरों से मुक्त हो चुके हैं, और इसका उदाहरण उन्होंने राजद्रोह जैसे औपनिवेशिक युग के कानून को निरस्त करने के रूप में दिया।

प्रधानमंत्री ने नागरिकों की रक्षा पर जोर देते हुए कहा कि न्याय संहिता का उद्देश्य नागरिकों को दंडित करने के बजाय उनकी सुरक्षा करना है। उन्होंने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए सख्त कानूनों के कार्यान्वयन और पहली बार छोटे अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा के प्रावधानों का भी उल्लेख किया।

श्री मोदी ने न्यायाधीशों और वकीलों को इस नई प्रणाली में प्रशिक्षित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की अपील की और कहा कि वकील और बार एसोसिएशनों की इस नई प्रणाली को जनता तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका है।

प्रधानमंत्री ने ‘ई-कोर्ट’ की महत्ता पर भी जोर देते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी के उपयोग से न केवल न्यायिक प्रक्रियाओं को तेज किया गया है, बल्कि वकीलों से लेकर शिकायतकर्ताओं तक सभी की समस्याओं का निवारण भी किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अदालतों का डिजिटलीकरण हो रहा है और उच्चतम न्यायालय की ई-कमेटी इन सभी प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।