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समाज के प्रति सामुदायिक कर्तव्यों के निर्वहन से ही श्रेष्ठ राष्ट्र का निर्माण संभव : सतपाल

आरएसएस की संगोष्ठी में नागरिक कर्तव्यों और उनके निर्वहन पर जोर

प्रतापगढ़, 1 सितंबर 2024। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा प्रतापगढ़ के लालगंज में नागरिक कर्तव्य एवं उनका निर्वहन विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के मानविकी विभाग के निदेशक प्रोफेसर सतपाल तिवारी मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर दुर्गा प्रसाद ओझा ने की, जबकि आरएसएस प्रतापगढ़ विभाग के बौद्धिक शिक्षण प्रमुख डॉ. सौरभ पांडेय ने विषय प्रवर्तन किया।

संगोष्ठी में मुख्य वक्ता प्रोफेसर सतपाल तिवारी ने नागरिक कर्तव्यों के महत्व पर जोर देते हुए कहा, संघ के शताब्दी वर्ष में पंच प्रण में शामिल नागरिक कर्तव्य एक महत्वपूर्ण विषय है। प्रत्येक भारतीय नागरिक का दायित्व है कि वह पर्यावरण संरक्षण से लेकर व्यक्तिगत जीवन में अनुशासन का पालन करते हुए राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान दे।

उन्होंने आगे कहा कि यातायात के नियमों का पालन, लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी, और समाज के प्रति सामुदायिक कर्तव्यों का निर्वहन एक सशक्त राष्ट्र की नींव रखने के लिए अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि समाज एकजुट होगा, नियमों और कानूनों का पालन करेगा, तभी एक श्रेष्ठ राष्ट्र का निर्माण संभव है।

संगोष्ठी के अध्यक्ष प्रोफेसर दुर्गा प्रसाद ओझा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, समाज के प्रत्येक व्यक्ति के लिए नागरिक कर्तव्य न केवल आवश्यक है, बल्कि इसका समर्पण भाव से निर्वहन भी होना चाहिए। सहकार और समर्पण से ही राष्ट्र का सशक्तिकरण संभव है।

आरएसएस प्रतापगढ़ विभाग के बौद्धिक शिक्षण प्रमुख डॉ. सौरभ पांडेय ने संगोष्ठी के आरंभ में विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि नागरिक कर्तव्यों में देशभक्ति, कानून का पालन, सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा और जागरूकता, सामुदायिक सेवा, नैतिकता और ईमानदारी, और मतदान जैसी महत्वपूर्ण बातें शामिल हैं।

इस संगोष्ठी में रमेश पटेल, नगर संघचालक संतोष, किसान नेता भानू प्रताप, प्रेम बहादुर, राम अवधेश जी, सतीश, उमाशंकर, शक्तिधर नाथ, सौरभ, हरिशंकर, मधुकर, मनोज, राजीव, आशुतोष, जीतेंद्र, बाल जी मिश्रा, शैलेंद्र, अमरमणि और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

प्रतापगढ़ में आयोजित इस संगोष्ठी ने नागरिक कर्तव्यों के महत्व और उनके सही निर्वहन पर जोर दिया। संगोष्ठी के माध्यम से समाज को एकजुट करने और कानूनों का पालन करने की आवश्यकता को प्रमुखता से उजागर किया गया।

इस प्रकार के आयोजनों से समाज में जागरूकता और अनुशासन बढ़ाने में मदद मिलती है, जो एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।