नई दिल्ली, 4 सितंबर 2024।अब महज आईड्रॉप के जरिए दृष्टि में सुधार लाया जा सकता है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने पहली बार एक ऐसे आईड्रॉप को बाजार में बिक्री की मंजूरी दी है, जिसे प्रेसबायोपिया से पीड़ित रोगियों को बिना चश्मे के पढ़ने में सहायता के लिए बनाया गया है।
डॉक्टरों के अनुसार, प्रेसबायोपिया एक सामान्य आयु-सम्बंधित दृष्टि स्थिति है, जो आम तौर पर 40 वर्ष की आयु के बाद व्यक्तियों को प्रभावित करती है। इस स्थिति में मरीज के क्रिस्टलीय लेंस की प्राकृतिक उम्र बढ़ने से उसे पास की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है।
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने एनटॉड फार्मास्यूटिकल्स को ‘प्रेसवू’ आई ड्रॉप्स की मंजूरी दी है। मंगलवार को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कंपनी ने बयान दिया कि यह फॉर्मूला न केवल पढ़ने वाले चश्मे से छुटकारा दिलाता है, बल्कि मरीज को एक अतिरिक्त लाभ भी प्रदान करता है, जैसे कि यह आंखों को नमी देने में मदद करता है।
मानसून के दिनों में कंजंक्टिवाइटिस, जिसे पिंक आइज भी कहा जाता है, का जोखिम अधिक देखा जाता रहा है। इसका मुख्य कारण वायरस या बैक्टीरिया के कारण होने वाला संक्रमण है। कुछ लोगों में एलर्जी के कारण भी कंजंक्टिवाइटिस की समस्या हो सकती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए मानसून के दौरान सार्वजनिक पूल में तैरने से बचना चाहिए। कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून के दिनों में बढ़ी हुई नमी और दूषित पानी के संपर्क में आने के कारण आंखों से संबंधित समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है। बैक्टीरिया और वायरल संक्रमण के कारण आंखों में चिपचिपापन, पीला स्राव, और सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
बरसात के दिनों में आंखों से संबंधित किसी भी समस्या के जोखिम को कम करने के लिए कुछ सावधानियों का ध्यान रखना आवश्यक है। इसमें हाथों की स्वच्छता बनाए रखना, आंखों को बार-बार छूने से बचना, और सुरक्षात्मक चश्मे पहनना शामिल है।