मोदी सरकार ने जापानी कंपनी को 320 करोड़ में बेचा एफएसएनएल

नई दिल्ली, 20 सितंबर 2024। मोदी सरकार ने एक बार फिर से सरकारी कंपनियों की बिक्री का सिलसिला जारी रखा है। इस बार इस्पात मंत्रालय के तहत आने वाली फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड (एफएसएनएल) को 320 करोड़ रुपये में जापानी कंपनी कोनोइक ट्रांसपोर्ट कंपनी लिमिटेड के हाथों बेचने की मंजूरी दे दी गई है। गुरुवार, 19 सितंबर 2024 को इस सौदे पर मुहर लगाई गई। एफएसएनएल, एमएसटीसी लिमिटेड की 100 प्रतिशत स्वामित्व वाली सब्सिडियरी थी, जिसे अब विदेशी हाथों में सौंपा जा रहा है।

सरकार को इस बिक्री के लिए दो वित्तीय बोलियां प्राप्त हुई थीं, जिसमें से कोनोइक ट्रांसपोर्ट कंपनी लिमिटेड की 320 करोड़ रुपये की बोली सबसे ऊंची रही। यह बोली सरकार द्वारा निर्धारित 262 करोड़ रुपये के आरक्षित मूल्य से काफी अधिक थी। दूसरे स्थान पर इंडिक जियो रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड (चंदन स्टील लिमिटेड की अनुषंगी) की बोली थी, लेकिन वह इस जापानी कंपनी के सामने टिक नहीं पाई।

सरकारी कंपनियों की बिकवाली पर सवाल

केंद्र सरकार द्वारा एक और सरकारी संपत्ति को निजी हाथों में सौंपने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और इस्पात मंत्री एच डी कुमारस्वामी की अगुवाई में वैकल्पिक व्यवस्था ने इस सौदे को मंजूरी दी। सरकार का तर्क है कि यह बिक्री आर्थिक सुधार और सरकारी परिसंपत्तियों के सही उपयोग का हिस्सा है, लेकिन इसके खिलाफ आलोचना का स्वर भी बुलंद है।

क्या सरकारी कंपनियों को लगातार बेचकर सरकार अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही है? क्या इस कदम से लंबे समय में भारत के उद्योग जगत और आम जनता पर प्रभाव पड़ेगा? ये सवाल अब राजनीतिक गलियारों में गूंजने लगे हैं।

सरकार के इस कदम पर छिड़ी बहस

कोनोइक ट्रांसपोर्ट टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध जापानी कंपनी अब भारत के इस्पात उद्योग में अपने पैर जमाने की तैयारी में है। हालांकि, एफएसएनएल की बिक्री से भारतीय इस्पात क्षेत्र में बाहरी कंपनियों की बढ़ती भूमिका पर भी चिंता जताई जा रही है।

सरकार के इस कदम ने एक बार फिर से यह बहस छेड़ दी है कि क्या सरकार निजीकरण के नाम पर राष्ट्रीय संपत्तियों को औने-पौने दामों पर बेचना उचित है, या फिर यह आर्थिक सुधार का जरूरी कदम है?

जन अधिकार अभियान समिति का सरकार पर गंभीर आरोप

केंद्र सरकार द्वारा फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड (एफएसएनएल) के विनिवेश को लेकर छत्तीसगढ़ के भिलाई में संचालित आचार्य नरेंद्र देव स्मृति जन अधिकार अभियान समिति ने कड़ी नाराजगी जताई है। समिति के अध्यक्ष आर पी शर्मा ने इसे जनविरोधी और पूंजीपतियों की समर्थक सरकार करार दिया है। उनका कहना है कि यह फैसला देश के आमजन और मजदूरों के हितों के खिलाफ है।

आर पी शर्मा ने कहा, मैंने 2007 से लेकर 2024 तक स्क्रैप माफिया के खिलाफ संघर्ष किया और एफएसएनएल को बचाने की कोशिश की, लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इसे 320 करोड़ रुपये में जापान की कोनोइक ट्रांसपोर्ट कंपनी लिमिटेड को बेच दिया। उन्होंने आगे कहा कि एफएसएनएल हर साल भारत सरकार को 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का लाभांश देती थी, बावजूद इसके इसे निजी हाथों में सौंपा जा रहा है।

आर पी शर्मा ने इस विनिवेश को सरकार की पूंजीवादी नीति का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा, यह सरकार पूंजीपतियों के भरोसे चल रही है और मजदूरों, किसानों तथा बेरोजगार युवाओं की आवाज को दबाने का काम कर रही है। जनविरोधी नीतियों पर चलते हुए सरकार ने किसी भी प्रकार की आपत्ति या विरोध को नजरअंदाज कर दिया है।

निजीकरण का सिलसिला थमने वाला नहीं

शर्मा ने आरोप लगाया कि यह सिर्फ एक शुरूआत है और अब इस्पात मंत्रालय के अधीन आने वाले अन्य सार्वजनिक उपक्रमों को भी निजी हाथों में बेचा जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि भिलाई स्टील प्लांट भी इसी दिशा में बढ़ रहा है, जहां नियमित पदों को खत्म कर ठेका मजदूरों से काम करवाया जा रहा है। उन्होंने आशंका जताई कि यह विशालकाय स्टील प्लांट भी निजीकरण की कगार पर खड़ा है।

सरकार की मंशा पर सवाल

आर पी शर्मा ने इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी पर भी सवाल उठाते हुए कहा, दो दिन पहले ही मंत्री भिलाई आए थे और कहा था कि किसी भी सरकारी उपक्रम का निजीकरण नहीं होगा। लेकिन उनके जाते ही एफएसएनएल के निजीकरण की खबर आ गई। इससे यह साफ है कि सरकार की मंशा सार्वजनिक उपक्रमों को पूंजीपतियों के हवाले करने की है।

आवाज उठाने की जरूरत

शर्मा ने इस विनिवेश के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की अपील की। उन्होंने कहा, आज हमें तमाम मतभेद भुलाकर इस निजीकरण के खिलाफ आवाज उठानी होगी, नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब सरकार दलित और पिछड़ा वर्ग के लोगों के आरक्षण को खत्म कर देगी।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब सरकार लगातार सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण की ओर बढ़ रही है, और यह निर्णय आने वाले दिनों में राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर और बड़ा मुद्दा बन सकता है।

जाने क्या है एफएसएनएल

फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड (एफएसएनएल) इस्पात मंत्रालय के तहत आने वाली सरकारी कंपनी थी, जिसे मोदी सरकार ने बेंच दिया, यह देश के सरकारी स्टील कारखानों से निकलने वाले स्क्रैप को लेकर उसका री-साइकिल करने का काम करती है। देश में जहां-जहां सरकारी स्टील कारखाने हैं, वहां एफएसएनएल के भी प्लांट स्थापित हैं।