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गौरा क्षेत्र के 16 गांवों में में मिले टीबी के 15 नये रोगी

टीबी रोकथाम के लिए गौरा में स्वास्थ्य अभियान

गौरा (प्रतापगढ़), 20 सितंबर 2024। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) गौरा के अंतर्गत 16 गांवों में टीबी (क्षय रोग) के मामलों में चिंताजनक वृद्धि दर्ज की गई है। हाल ही में किए गए सर्वेक्षण में 15 नये टीबी रोगियों की पहचान की गई है, जबकि पिछले वर्ष 2023 में इन्हीं गांवों में 10 रोगी चिन्हित किए गए थे।

टीबी रोगियों की संख्या में वृद्धि के पीछे प्रमुख कारण प्रदूषण, धूम्रपान, और अस्वास्थ्यकर खानपान जैसे कारक माने जा रहे हैं। जिन रोगियों की पहचान हुई है, उनका उपचार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गौरा में आरंभ कर दिया गया है, ताकि इस बीमारी को शुरुआती चरण में ही नियंत्रित किया जा सके।

सीएचसी गौरा के अधीक्षक डॉ. विकासदीप पटेल ने बताया कि यह सर्वेक्षण 9 से 20 सितंबर 2024 तक वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. राजीव त्रिपाठी की निगरानी में चलाया गया। इस अभियान के अंतर्गत वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक दिवाकर सिंह और उनकी टीम ने 16 गांवों में सक्रिय टीबी रोगियों की पहचान के लिए विशेष अभियान चलाया। हर गांव में स्क्रीनिंग के लिए एक-एक टीम को नियुक्त किया गया था।

इन गांवों में हुई स्क्रीनिंग

इस अभियान में गौरा, रामापुर, पटहटिया कला, नौडेरा, सुल्तानपुर, रहेटुआ, मसौली, मुआर अधारगंज, शाहपुर, बरहदा, बाबूपटी, प्रीतम तिवारीपुर, संडिला और कौलापुर नंदपटी गांवों में स्क्रीनिंग की गई।

अभियान के दौरान लगभग 45,000 नागरिकों की स्क्रीनिंग की गई, जिनमें से 16 सक्रिय टीबी रोगी चिन्हित किए गए। यह एक महत्वपूर्ण कदम था, जिससे टीबी के प्रसार को रोकने में मदद मिल सकती है।

सहायता योजना

डा. पटेल ने यह भी जानकारी दी कि सरकार की नि:क्षय पोषण योजना के तहत चिन्हित टीबी रोगियों को प्रतिमाह 500 रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है। यह सहायता उपचार के दौरान रोगियों को बेहतर पोषण प्रदान करने में मदद करेगी।

जागरूक रहने की अपील

स्वास्थ्य अधिकारियों ने क्षेत्र के नागरिकों से अपील की है कि वे अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें और किसी भी प्रकार की शारीरिक समस्या होने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लें। स्वास्थ्य विभाग की ओर से भविष्य में भी इस तरह के सर्वेक्षण और जागरूकता अभियान जारी रखे जाएंगे, ताकि टीबी जैसी बीमारियों को समय रहते नियंत्रित किया जा सके।

टीबी जैसे रोग की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है, और इस दिशा में स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों की सक्रियता प्रशंसनीय है। समय पर पहचान और उपचार से इस रोग पर नियंत्रण संभव है।