नई दिल्ली, 28 जनवरी 2025। उत्तराखंड के चमोली जिले के कर्णप्रयाग की मूल निवासी मुद्रा गैरोला ने अपने पिता अरुण गैरोला के 50 साल पुराने सपने को साकार कर इतिहास रच दिया। उनकी प्रेरणादायक कहानी सिविल सेवा की तैयारी कर रहे लाखों युवाओं के लिए मिसाल बन गई है।
मुद्रा, जिन्होंने मेडिकल क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करते हुए बीडीएस की पढ़ाई में गोल्ड मेडल हासिल किया, ने अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए एमडीएस की पढ़ाई बीच में छोड़ दी और यूपीएससी की तैयारी में जुट गईं। उनके पिता का सपना था कि वह आईएएस अधिकारी बनें, जिसे उन्होंने साल 1973 में खुद भी पाने की कोशिश की थी लेकिन असफल रहे।
मुद्रा गैरोला ने 2018 में पहली बार यूपीएससी परीक्षा दी और इंटरव्यू तक पहुंची, लेकिन चयन नहीं हो सका। इसके बाद उन्होंने 2019 और 2020 में फिर प्रयास किया, लेकिन असफलता हाथ लगी। तीन असफलताओं के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और दृढ़ संकल्प के साथ 2021 में परीक्षा दी। इस बार उन्होंने 165वीं रैंक हासिल की और आईपीएस अधिकारी बनीं।
हालांकि, आईपीएस बन जाने के बाद भी मुद्रा को संतोष नहीं हुआ, क्योंकि वह अपने पिता से किया वादा पूरा करना चाहती थीं। उन्होंने एक बार फिर मेहनत की और 2023 में यूपीएससी परीक्षा में 53वीं रैंक हासिल कर आईएएस अधिकारी बन गईं।
मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाली मुद्रा बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल थीं। उन्होंने 10वीं में 96% और 12वीं में 97% अंक हासिल किए। मेडिकल के क्षेत्र में करियर बनाने का सपना देखते हुए उन्होंने बीडीएस में गोल्ड मेडल हासिल किया। लेकिन अपने पिता के अधूरे सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने एक अलग राह चुनी और अपनी मेहनत और लगन से उसे साकार किया।
मुद्रा गैरोला की यह कहानी बताती है कि यदि इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो कोई भी चुनौती आपको रोक नहीं सकती। उनकी सफलता उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि असफलताएं केवल सफलता की ओर बढ़ने का एक पड़ाव होती हैं।