संयुक्त राष्ट्र, 12 अप्रैल 2025। शिपिंग उद्योग के लिए ऐतिहासिक जलवायु नीति मंजूर हो गयी है। यह मंजूरी संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) ने दी है। इसमें कार्बन उत्सर्जन पर शुल्क लगाने की योजना शामिल है। ग्रीन फ्यूल को बढ़ावा देने की योजना भी इस नीति में है।
नई जलवायु नीति में क्या-क्या
- 2028 से जहाजों को कम-कार्बन फ्यूल अपनाना होगा, अन्यथा प्रति टन $100-$380 का कार्बन शुल्क देना होगा।
- हर साल 10 बिलियन डॉलर जुटाने का लक्ष्य है, जो शिपिंग क्षेत्र के हरित संक्रमण में मदद करेगा।
- नया फ्यूल मानक फॉसिल फ्यूल के उपयोग को धीरे-धीरे खत्म करेगा, जो वैश्विक तेल मांग का 5% है।
IMO का 2050 तक नेट-जीरो का लक्ष्य
IMO ने 2030 तक 20% उत्सर्जन कटौती और 2050 तक नेट-जीरो का लक्ष्य रखा है। हालांकि, प्रशांत द्वीप देशों, अफ्रीकी और कैरेबियाई देशों सहित पर्यावरण संगठनों ने इस समझौते को अपर्याप्त बताया है। क्लीन शिपिंग कोलिशन ने कहा कि यह नीति 2030-2050 के जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में नाकाम रहेगी। आलोचकों को चिंता है कि सस्ते बायोफ्यूल्स, जैसे पाम और सोयाबीन तेल, पर्यावरण को और नुकसान पहुंचा सकते हैं।
63 देशों ने किया समर्थन
सऊदी अरब और UAE जैसे पेट्रोलियम उत्पादक देशों ने इसका विरोध किया, लेकिन 63 देशों के समर्थन से समझौता पारित हुआ। फिर भी, 90% अतिरिक्त उत्सर्जन को शुल्क से छूट देने के फैसले ने विवाद खड़ा किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति आय और प्रभाव के मामले में सीमित रहेगी।
यह समझौता शिपिंग उद्योग के लिए एक कदम आगे है, लेकिन जलवायु संकट से निपटने और न्यायपूर्ण ऊर्जा संक्रमण के लिए और सख्त कदमों की जरूरत है। IMO को अब इन आलोचनाओं का समाधान कर 2050 के नेट-जीरो लक्ष्य की दिशा में काम करना होगा।