नई दिल्ली, 7 सितंबर 2024 : मॉर्गन स्टेनली ने घोषणा की है कि सितंबर 2024 के दौरान एमएससीआई उभरते बाजार निवेश योग्य सूचकांक (इमर्जिंग मार्केट्स इन्वेस्टेबल मार्केट इंडेक्स, MSCI EM IMI) में भारत ने अपने भारित मूल्य के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। सूचकांक में भारत का भार 22.27 प्रतिशत रहा, जबकि चीन का भार 21.58 प्रतिशत पर आ गया। यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो वैश्विक निवेशकों की नजर में उसके बढ़ते महत्व को दर्शाता है।
MSCI IMI का परिचय
MSCI IMI में कुल 3,355 स्टॉक्स शामिल हैं, जिसमें बड़ी, मध्यम और छोटी कैप कंपनियाँ भी सम्मिलित होती हैं। यह सूचकांक उभरते बाजारों वाले 24 देशों के शेयरों को कवर करता है और प्रत्येक देश के फ्री-फ्लोट एडजस्टेड मार्केट कैपिटलाइज़ेशन का लगभग 85 प्रतिशत कवर करने का लक्ष्य रखता है। मुख्य MSCI EM सूचकांक में बड़ी और मध्यम कैप कंपनियों पर ध्यान दिया जाता है, जबकि IMI सूचकांक को अधिक व्यापक बनाया गया है, जिसमें छोटी कैप कंपनियों को भी शामिल किया गया है।
भारत के बढ़ते भार का कारण
MSCI IMI में भारत का अधिक भार विशेष रूप से छोटी कैप कंपनियों की अधिक वजन क्षमता के कारण है। यह बदलाव व्यापक बाजार रुझानों का प्रतिबिंब है। जहाँ चीन विपरीत आर्थिक परिस्थितियों से जूझ रहा है, वहीं भारत अनुकूल आर्थिक परिस्थितियों का लाभ उठा रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था के मजबूत बुनियादी सिद्धांतों और भारतीय कॉरपोरेट्स के शानदार प्रदर्शन ने भी इस वृद्धि में अहम भूमिका निभाई है।
भारत की आर्थिक वृद्धि के प्रमुख कारण
भारतीय इक्विटी बाजार का प्रदर्शन व्यापक आधार पर मजबूत है, जिसमें बड़े, मध्यम और छोटे कैप सभी स्तरों पर बेहतर प्रदर्शन दिखा है। इसके अलावा, भारतीय अर्थव्यवस्था को समर्थन देने वाले कई प्रमुख कारक सामने आए हैं:
- 2024 की शुरुआत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में 47% की वृद्धि।
- कच्चे तेल की कीमतों में कमी।
- भारतीय ऋण बाजारों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में वृद्धि।
इन सकारात्मक रुझानों ने भारतीय बाजारों में स्थिरता और आकर्षण बढ़ाया है, जिससे वैश्विक निवेशकों की दिलचस्पी भी बढ़ी है।
MSCI सूचकांकों में बदलाव
MSCI ने अपने विभिन्न सूचकांकों में भारतीय शेयरों का भार बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह बदलाव MSCI EM सूचकांक में भी दिखता है, जहाँ मार्च 2024 से अगस्त 2024 के बीच भारत का भार 18 प्रतिशत से बढ़कर 20 प्रतिशत हो गया, जबकि इसी अवधि में चीन का भार 25.1 प्रतिशत से घटकर 24.5 प्रतिशत पर आ गया। यह भारत की बढ़ती भूमिका और चीन की घटती हिस्सेदारी को दर्शाता है।
निवेशकों के लिए प्रभाव
विश्लेषकों के अनुसार, MSCI EM IMI में भारत के बढ़ते भार के कारण भारतीय इक्विटी बाजार में लगभग 4 से 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अतिरिक्त निवेश प्रवाहित हो सकता है। यह निवेश भारत की आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने में मदद करेगा और देश के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। घरेलू और विदेशी निवेश दोनों के लिए यह सकारात्मक संकेत है।
भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत और वैश्विक निवेशकों की दिलचस्पी का परिणाम है कि MSCI जैसे प्रमुख सूचकांकों में उसका भार बढ़ता जा रहा है। यह न केवल भारत के इक्विटी बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेत है, बल्कि आर्थिक वृद्धि और विकास के लिए भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। आने वाले समय में, इस प्रवृत्ति से भारत को और अधिक वैश्विक पूंजी आकर्षित करने में मदद मिलेगी।