नई दिल्ली में हुई अंतर्राष्ट्रीय मेथनॉल संगोष्ठी में नितिन गडकरी ने वैकल्पिक ईंधन के महत्व पर दिया जोर
नई दिल्ली, 18 अक्टूबर 2024। आने वाले दिनों में मेथनॉल, इथेनॉल और बायो-सीएनजी भारत के ईंधन होंगे। मेथनॉल, इथेनॉल और बायो-सीएनजी से भारत समृद्ध होगा। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 17 अक्टूबर को नई दिल्ली में नीति आयोग द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मेथनॉल संगोष्ठी एवं प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।
श्री गडकरी ने प्रदर्शनी का दौरा करते हुए मेथनॉल आधारित उत्पादों और मशीनरी का अवलोकन किया। अपने संबोधन में उन्होंने दो प्रमुख चिंताओं बढ़ते प्रदूषण और जीवाश्म ईंधन के आयात पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वैश्विक भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच, आत्मनिर्भरता के लिए भारत को जीवाश्म ईंधन के आयात में कमी लाने की तत्काल आवश्यकता है, जो वर्तमान में लगभग ₹22 लाख करोड़ है।
मेथनॉल, इथेनॉल और बायो-सीएनजी होंगे प्रमुख ईंधन
केन्द्रीय मंत्री श्री गडकरी ने जैव ईंधन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऊर्जा स्वतंत्रता प्राप्त करने, कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और किसानों की समृद्धि सुनिश्चित करने में मेथनॉल, इथेनॉल और बायो-सीएनजी जैसे वैकल्पिक ईंधन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने बताया कि इन ईंधनों का उपयोग न केवल प्रदूषण कम करेगा, बल्कि भारत की रसद लागत में भी कमी लाएगा।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत जैव ईंधन के क्षेत्र में, विशेष रूप से मेथनॉल उत्पादन में, तेजी से प्रगति कर रहा है। नीति आयोग के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि मेथनॉल को बढ़ावा देने से भारत को एक किफायती और प्रदूषण-मुक्त ऊर्जा विकल्प मिलेगा। श्री गडकरी ने यह भी जानकारी दी कि कुछ राज्यों में निम्न गुणवत्ता वाले कोयले का उपयोग मेथनॉल उत्पादन के लिए किया जा रहा है, जो एक सकारात्मक कदम है।
यह संगोष्ठी मेथनॉल और अन्य वैकल्पिक ईंधनों के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो रही है, जो भारत के ऊर्जा क्षेत्र को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने में मदद करेगी। इस अवसर पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी, सदस्य वी.के. सारस्वत और भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद भी उपस्थित रहे।