नई दिल्ली, 11 नवंबर 2024। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने सोमवार को भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) का पद संभाला। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुबह 10 बजे राष्ट्रपति भवन में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस खन्ना ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की जगह ली, जो रविवार को सेवानिवृत्त हुए। उनका कार्यकाल 13 मई, 2025 तक रहेगा।
जस्टिस खन्ना का कार्यकाल न्यायिक क्षेत्र में प्रभावशाली होने की उम्मीद है, जिसमें लंबित मामलों को कम करना और न्याय प्रक्रिया में तेजी लाना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है। चुनावी बॉन्ड योजना को चुनौती देने और अनुच्छेद 370 के निरसन जैसे महत्वपूर्ण फैसलों में उनकी भूमिका रही है।
जस्टिस संजीव खन्ना का जीवन परिचय
जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को दिल्ली में हुआ। उन्होंने डीयू के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई पूरी की। उन्हें 2004 में दिल्ली के स्थायी वकील (सिविल) के तौर पर नियुक्त किया गया और 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट में एडहॉक जज बने। उनके करियर में आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील, अतिरिक्त लोक अभियोजक, और न्याय मित्र के रूप में कार्य करते हुए कई आपराधिक मामलों में प्रभावशाली बहस करने का अनुभव शामिल है।
जस्टिस खन्ना का परिवार न्यायिक परंपरा से जुड़ा रहा है। उनके पिता दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश रह चुके हैं, और उनके चाचा, जस्टिस एचआर खन्ना, सर्वोच्च न्यायालय के प्रतिष्ठित न्यायाधीश रहे हैं। जस्टिस एचआर खन्ना का नाम आपातकाल के दौरान एडीएम जबलपुर मामले में असहमति जताने वाले फैसले के लिए आज भी सम्मान के साथ लिया जाता है।
न्याय प्रक्रिया में सुधार की ओर कदम
जस्टिस संजीव खन्ना को 18 जनवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट में कॉलेजियम की सिफारिश पर प्रोन्नत किया गया। वे सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं और वर्तमान में नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी के कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं। इसके अलावा, वे नेशनल ज्यूडिशल एकेडमी भोपाल के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य भी हैं।
सीजेआई के रूप में जस्टिस खन्ना का कार्यकाल न्याय व्यवस्था को सुदृढ़ करने और लंबित मामलों की संख्या को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।