बासमती चावल निर्यात पर न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त हटाई गई

बासमती चावल निर्यात पर न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त हटाई गई: किसानों और निर्यातकों को मिलेगा फायदा

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नई दिल्ली, 14 सितंबर 2024 । सरकार ने बासमती चावल के निर्यात पर लगी न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) की शर्त को हटा लिया है। यह शर्त 20 जुलाई 2023 से लागू थी, लेकिन अब इसे तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया गया है। वाणिज्य मंत्रालय ने इस निर्णय की जानकारी कृषि उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अध्यक्ष को दी है।

बासमती चावल पर से एमईपी हटाने का फैसला न सिर्फ किसानों के लिए लाभदायक है, बल्कि इससे देश के चावल निर्यात में भी वृद्धि होगी। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय बासमती चावल की मांग बढ़ेगी, जिससे किसानों की आमदनी में सुधार होगा। यह कदम न सिर्फ कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाएगा, बल्कि भारत को चावल के निर्यात में अग्रणी बनाए रखने में भी मदद करेगा।

वाणिज्य मंत्री का बयान और निर्णय का महत्व

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इस निर्णय को किसानों के कल्याण की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा, यह किसान कल्याण की दिशा में बड़ा कदम है। बासमती चावल से एमईपी को हटाने का निर्णय अभिनंदनीय है। इससे निर्यात भी बढ़ेगा और किसानों की आमदनी में भी वृद्धि होगी। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की किसानों के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है।

निर्यातकों और एपीडा की प्रतिक्रिया

एपीडा और भारतीय चावल निर्यातक महासंघ (आईआरईएफ) ने इस फैसले का स्वागत किया है। आईआरईएफ के अध्यक्ष डॉ. प्रेम गर्ग ने इसे किसानों और निर्यातकों के हित में एक बड़ा फैसला बताया। उन्होंने कहा, हम तीन महीने से इसकी सिफारिश कर रहे थे। इससे बासमती चावल की मांग बढ़ेगी और किसानों को इसका फायदा मिलेगा।

बासमती चावल के निर्यात में वृद्धि की संभावना

एमईपी हटाने से बासमती चावल के निर्यात में 25 से 30 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही है। पिछले वर्ष भारत से बासमती चावल का निर्यात 55 लाख टन के दायरे में था, जो इस बार 65 लाख टन तक पहुंच सकता है। इससे किसानों को उत्पादन बढ़ाने का प्रोत्साहन मिलेगा और देश को विदेशी मुद्रा का भी लाभ होगा।

सरकार से सफेद चावल के लिए अपील

डॉ. गर्ग ने सरकार से अपील की है कि वह गोदामों से सफेद चावल खुले बाजार में जारी करे। इससे इसका भी निर्यात बढ़ सके। इस साल अच्छी बारिश होने के कारण धान की फसल का अनुमानित उत्पादन 14.2 करोड़ टन तक पहुंच सकता है। उन्होंने कहा, हम चाहते हैं कि सफेद चावल के स्टॉक को खुले बाजार में छोड़ा जाए। इससे भारत को विश्व बाजार का लाभ मिल सके।