छत्तीसगढ़ी फिल्म उद्योग बर सन 1965 स्वर्णिम दशक रहिस जब राज्य के पहली फिल्म कहि देबे सन्देश के सिनेमाघर म प्रदर्शन होईस, मनु नायक ल छत्तीसगढ़ी फिल्म के जनक अऊ नीव रखईया भी कहे जाथे। बड़ गर्व के बात हे कि देश के सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक मोहम्मद रफी साहब ‘झमकत नदियां बहिनी लागे पर्वत मोर मितान’ ये गीत ल अपन स्वर दे हे, सन 1940 ले 1980 दशक तक अलग-अलग भाषा म 25 हजार ले जादा गीत गाय हे।
रफी साहब ल 6 बार फिल्म फेयर अवार्ड, एक बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार अऊ पद्मश्री से नवाजे गए हे। मोहम्मद रफी के अलावा ये फिल्म म महेन्द्र कपूर, मन्नाडे, सुमन कल्याणपुरी, मुबारक बेगम, नीतू पुरूषोत्तम तको गीत गाय हे। फिल्म म झमकत नदियां बहिनी लागे, तोर पैरी के झनर झनर, तरी हरी नाना, बिहनिया के उगत सुरूज देवता, दुनिया के मन आगु बढ़गे, मोर अंगना के सोन चिरैया अऊ होरे होरे होरे मिलाके कुल सात गीत हवय।
कहि देबे सन्देश फिल्म के प्रदेश भर म विरोध होय के बावजूद 55 साल बाद फिल्म फेस्टिवल म प्रदर्शन होईस, 2 घंटा 11 मिनट के फिल्म म लगभग 1 लाख 25 हजार के लागत आय रहिस। मनु नायक ओ समय मुम्बई म 60 रुपिया महिना म नौकरी करय सन 1963 म जब नौकरी छोड़िस तब 300 रुपिया महिना वेतन रहिस।
सन 1964 के नवंबर दिसंबर महिना म बलौदा बाजार जिला के पलारी गांव म कुल 22 दिन तक चले शुटिंग म फिलिम पुरा होय रहिस। टाकीज मन म फिल्म दिखाय बर ताराचंद बड़जात्या 70 हजार के मांग करे रहिन जेन फिल्म लागत के 60 फिसदी रहिन तब मनु नायक जी मना कर दिस। फिल्म के प्रचार खुदे करे भ्रमणशील टाकीज अऊ गांव के मड़ई मेला मन म दिखावय, दु साल तक कर्जा चुकाय म बिताना पड़गे। प्रिमियर शो यानी फिल्म के पहली प्रदर्शन 16 अप्रैल 1965 म दुर्ग अऊ भाटापारा म होईस विवाद के सेती रायपुर के टाकीज म सितंबर महिना म प्रदर्शन होईस, रायपुर के राज टाकीज म आठ हफ्ता तक चलिस फिल्म हा।
मोहम्मद रफी साहब जब ये गीत ल गाईन त खुश होके तुरते मनु नायक जी चार सौ रुपिया दे रहिस, झमकत नदियां बहिनी लागे के गीतकार डॉ हनुमंत नायडू राजदीप, संगीतकार मलय चक्रवर्ती रहिस। फिल्म म मुख्य अभिनेता कान मोहन, मुख्य नायिका उमा राजू जेन एक नवोदित अभिनेत्री रहिन अऊ सुरेखा पारकर दूसरा मुख्य नायिका रहिन। कहि देबे सन्देश फिल्म उपर चार किताब छप गेहे, छत्तीसगढ़ फिल्म उद्योग के इतिहास म ये फिल्म अऊ मनु नायक जी हमेशा बर अमर होगे।
गीतकार – डॉ हनुमंत नायडू राजदीप
संगीतकार – मलय चक्रवर्ती
मूल गायक – मोहम्मद रफी साहब
फिल्म – कहि देबे सन्देश (1965)
झमकत नदियां बहिनी लागे
पर्वत मोर मितान हवे रे भाई
पर्वत मोर मितान
में बेटा हव ये धरती के
धरती मोर परान हवे रे भाई
धरती मोर परान
झमकत नदियां बहिनी लागे
पर्वत मोर मितान हवे रे भाई
पर्वत मोर मितान।
हरियर लुगरा पहिरे भुईयां
चंदा दिए कपार मा
तरिया के दर्पण मा मुख ल
देखत बईठे पार मा
सिंदूर बुके सांझ इंहा के
सोनहा इंहा बिहान हवे रे भाई
झमकत नदियां बहिनी लागे
पर्वत मोर मितान हवे रे भाई
पर्वत मोर मितान।
कान के खिनवा झम-झम झमके
पैरी झनके पांव मा
घर-घर चुरी खन-खन खनके
सरग उतरगे गांव मा
हरियर हरियर राहेर डोले
पिंवरा- पिंवरा धान हवे रे भाई
पिंवरा- पिंवरा धान
झमकत नदियां बहिनी लागे
पर्वत मोर मितान हवे रे भाई
पर्वत मोर मितान।
आलेख : देव हीरा लहरी
चंदखुरी फार्म रायपुर