रायपुर, 28 दिसंबर 2024। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत पांच दिवसीय छत्तीसगढ़ प्रवास पर हैं। 27 दिसंबर को रायपुर आगमन के बाद, 28 दिसंबर को उन्होंने संघ के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ विभिन्न संगठनात्मक विषयों पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने सेवा कार्यों को संघ की मूल भावना बताते हुए कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन किया।
भागवत ने कहा, सर्व धर्म समा वृत्ति: सर्व जाति समा मति:, सर्व सेवा परानीति रीति: संघस्य पद्धति। अर्थात संघ की पद्धति सभी धर्मों के प्रति समान वृत्ति, सभी जातियों के प्रति समानता और सभी लोगों के साथ आत्मीयता का व्यवहार है।
उन्होंने सेवा को मानवता का धर्म बताते हुए कहा कि हमारे धर्म ग्रंथों में सेवा के अनुकरणीय उदाहरण मिलते हैं। हमारे जीवन से सभी का जीवन सुखी और निरामय हो, यही मानव धर्म है। केवल अपने हित की चिंता करना धर्म नहीं हो सकता।
सेवा प्रकल्पों पर विशेष फोकस
भागवत ने छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विचार परिवार द्वारा समाज के सहयोग से संचालित सेवा प्रकल्पों की सराहना की। सेवा भारती द्वारा प्रदेश में 99 सेवा प्रकल्प संचालित किए जा रहे हैं। इनमें रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, अंबिकापुर, दुर्ग, राजनांदगांव और जगदलपुर में संचालित मातृछाया विशेष रूप से उल्लेखनीय है। मातृछाया में अनाथ और परित्यक्त बच्चों के लिए भोजन, कपड़े, आवास, शिक्षा और मनोरंजन की व्यवस्थाएं समाज के सहयोग से की जाती हैं।
इसके अलावा, संघ छत्तीसगढ़ में 7 कन्या छात्रावास, 2 आश्रय गृह, 59 संस्कार केंद्र, 11 किशोरी विकास केंद्र, सिलाई केंद्र, कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र, स्वास्थ्य पैथलैब और पॉलीक्लिनिक भी संचालित कर रहा है।
पांच उपक्रमों की जानकारी दी
भागवत ने बताया कि संघ सेवा शिक्षण कार्य को पांच उपक्रमों में विभाजित करता है। इनमें पहला है सेवा संस्कार। इसमें शाखाओं में साप्ताहिक सेवा दिवस पर सुभाषित, अमृतवचन और गीत का अभ्यास कराया जाता है।
दूसरा है सेवा संस्कार, इसमें सेवा प्रकल्पों की जानकारी, महापुरुषों की जीवन गाथा, अनुभव कथन और बौद्धिक चर्चाएं आयोजित की जाती हैं। तीसरा है सेवा बस्ती संपर्क, इसमें शाखाओं के माध्यम से बस्तियों में सेवा संपर्क कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं।
चौथा है सेवा कार्य चलाने वाली शाखा, इसमें दैनिक और साप्ताहिक स्थाई सेवा कार्य शाखाओं द्वारा संचालित होते हैं। रायपुर में ऐसी 61 शाखाएं कार्यरत हैं। और पांचवा है सेवा उपक्रमशील शाखा, इसमें वे शाखाएं जो वर्ष में कम से कम दो सेवा उपक्रम करती हैं। रायपुर में ऐसी शाखाओं की संख्या 54, रायगढ़ में 82 और दुर्ग में 77 है।
इन उपक्रमों में आरोग्य शिविर, शिक्षा सामग्री वितरण, सहभोज, महापुरुष पुण्यस्मरण, और भजन जैसे आयोजन शामिल हैं।
स्वयंसेवकों को किया प्रेरित
भागवत ने कहा कि संघ की स्थापना का आधार ही सेवा है। 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने संघ की स्थापना की थी, और 1926 में राम नवमी यात्रा में स्वयंसेवकों ने सेवा कार्य शुरू किया था।
यह आत्मीयता और सेवा का रिश्ता ही संघ का मूल है। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवकों को समाज के दुख और अभाव को दूर करने के लिए हमेशा प्रयासरत रहना चाहिए।
भागवत ने कहा कि सेवा धर्म मानवता की नींव है। संघ का लक्ष्य है कि सेवा और संस्कार के माध्यम से समाज को सुखी, समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाया जाए।