वाराणसी, 15 सितंबर 2024 : साहित्य प्रेमियों और पर्यटकों के लिए एक खुशी की खबर है। लमही में मुंशी प्रेमचंद संग्रहालय का निर्माण किया जाएगा, जिसका जिम्मा पर्यटन विभाग की ओर से उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) को सौंपा गया है। इस संग्रहालय के निर्माण पर सात करोड़ रुपये की लागत आएगी, जिससे साहित्य प्रेमी उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद की कृतियों और जीवन से रूबरू हो सकेंगे।
संग्रहालय निर्माण के लिए बजट और प्रक्रिया
- निर्माण की लागत: सात करोड़ रुपये
- कार्यदायी संस्था: उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल)
- पर्यटन विभाग का बयान: उपनिदेशक पर्यटन आरके रावत ने बताया कि इस सप्ताह से संग्रहालय का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।
- इतिहास: राष्ट्रीय स्मारक घोषित होने के 17 साल बाद इसकी डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार हुई और दो वर्ष बाद बजट जारी हुआ।
संग्रहालय में क्या होगा विशेष
संग्रहालय में मुंशी प्रेमचंद के जीवन, उनके साहित्यिक कार्यों, और उनके प्रसिद्ध पात्रों को जीवंत रूप में प्रदर्शित किया जाएगा। इसमें डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि प्रेमचंद की कहानियों और जीवन के क्षणों को सजीवता से पेश किया जा सके। इसमें प्रेमचंद की दुर्लभ तस्वीरें, उनकी कहानियों पर आधारित रेखाचित्र, और पढ़ने के लिए किताबें प्रदर्शित की जाएंगी।
प्रेमचंद के पात्रों का जीवंत चित्रण
संग्रहालय में प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियों के पात्रों जैसे गोबर, धनिया, होरी, दत्तादीन, राय साहब, भोला, मिस मालती, गोविंदी, आनंदी, मातादीन, झूरी, और उसके दो बैल हीरा और मोती की मूर्तियां लगाई जाएंगी। यह संग्रहालय प्रेमचंद के साहित्य को जीवंत बनाने का एक प्रयास है, ताकि साहित्य प्रेमी उनके रचनात्मक संसार का अनुभव कर सकें।
लमही महोत्सव और संग्रहालय का महत्व
मुंशी प्रेमचंद का स्मारक और उनका पुश्तैनी मकान आज भी बदहाल स्थिति में हैं। लमही महोत्सव, जो अब तक एक सरकारी आयोजन बनकर रह गया था, इस संग्रहालय के निर्माण के बाद और भी महत्वपूर्ण हो जाएगा। यह संग्रहालय न सिर्फ प्रेमचंद की स्मृतियों को संजोएगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों को उनके अद्वितीय साहित्य से जोड़ने का एक केंद्र बनेगा।
मुंशी प्रेमचंद संग्रहालय के निर्माण से साहित्य प्रेमियों को उनकी अमर कृतियों से जुड़ने का अवसर मिलेगा। यह संग्रहालय प्रेमचंद के जीवन और उनके साहित्यिक योगदान का सम्मान करेगा, और उनकी कहानियों और पात्रों को नई पीढ़ी के सामने जीवंत रूप में प्रस्तुत करेगा। यह कदम न सिर्फ साहित्यिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, बल्कि इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का भी एक सराहनीय प्रयास है।